Malegaon Blast Case: मालेगांव धमाके के 38 सरकारी गवाहों को पुलिस सुरक्षा देने की अपील
Malegaon Blast Case मालेगांव ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में कर्नल पुरोहित की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है।
मुंबई, प्रेट्र। वर्ष 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके में 38 संवेदनशील सरकारी गवाहों को पुलिस सुरक्षा देने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने निचली अदालत में अपील दायर की है। यह जानकारी एनआइए ने शुक्रवार को मुंबई हाईकोर्ट को दी। साथ ही अदालत से यह अपील भी की कि वह मामले की बंद कमरे में सुनवाई चाहती है।
चूंकि इस मामले में अदालती कार्यवाही की बेवजह की चर्चा से 'सांप्रदायिक सौहार्द' बिगड़ सकता है। ध्यान रहे कि भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य इस मामले में आरोपित हैं। इन सभी पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत आतंकवाद और साजिश रचने की दफाएं लगाई गई हैं। एनआइए ने शुक्रवार को यह अपील जस्टिस आइए महंती और एएम बदर की उस खंडपीठ से की है, जो पुरोहित की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
पुरोहित की याचिका में गवाहों के बयान की विस्तृत प्रतियां दर्ज हैं जोकि आरोपपत्र का भी हिस्सा हैं। एनआइए के वकील संदेश पाटिल ने हाईकोर्ट को बताया कि 475 गवाहों में से 186 के बयानों को छोटा किया गया है। इन 186 गवाहों में से 38 गवाह बेहद संवेदनशील हैं। उन्हें सुरक्षा की जरूरत है और उनके सुबूतों और गवाही को अदालत के बंद कमरे में रिकार्ड किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह आरोपित पुरोहित को शेष गवाहों के बिना कटे बयानों को देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी विशेष एनआइए अदालत में इस संबंध में अपील करेगी। इसके बाद खंडपीठ ने पुरोहित की अपील पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। इससे एक दिन पहले गुरुवार को एनआइए ने विशेष अदालत के जज वीएस पदलकर की अदालत में 2008 मालेगांव धमाके की सुनवाई बंद कमरे में कराने की अपील की। यानी इसकी सुनवाई से मीडिया को दूर रखा जाए। एनआइए की दलील है कि सुनवाई को जरूरत से ज्यादा प्रचार मिलने से सांप्रदायिक सद्भावना को ठेस पहुंच सकती है।
मालेगांव ब्लास्ट मामले से जुड़ी बातें
- 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव धमाके में 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 को चोटें आईं। नासिक जिले के मालेगांव शहर में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास यह धमाका हुआ। यहां एक मोटरसाइकिल में छिपाकर विस्फोटक पदार्थ रखा हुआ था।
- इस धमाके की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई। एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे (26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए) ने इसकी जांच शुरू की तो मोटरसाइकिल मालिक की जांच उन्हें सूरत तक ले गई। यहीं से एटीएस के हाथ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तक पहुंचे।
- इसी क्रम में कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय भी गिरफ्त में आए। इस धमाके में अभिनव भारत संगठन की तरफ भी उंगलियां उठीं। इनमें से कुछ लोगों के नाम मालेगांव 2006 जैसे अन्य घटनाओं में भी आया।
- 20जनवरी 2009 और 21अप्रैल 2011 को महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई की विशेष मकोका अदालत में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। आठ लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि चार को जमानत मिल गई। इनके अलावा दो आरोपी गिरफ्त से बाहर थे।
- गृह मंत्रालय के निर्देशों पर 13 अप्रैल 2011 को यह मामला महाराष्ट्र एटीएस से एनआईए को सौंप दिया गया।
- 13 मई 2016 को एनआईए ने सबूतों के अभाव मे अपनी चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए।
- 28 जून 2016 को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जबकि इससे एक महीने पहले ही जांच एजेंसी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
- 25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी। लेकिन उन्हें अपना पासपोर्ट एनआइए के पास जमा कराना होगा और पांच लाख रुपये की जमानत राशि भी देनी होगी। इसके अलावा साध्वी को ट्रायल कोर्ट में तारीखों पर उपस्थित होने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।
- 30 अक्टूबर 2018 को मुंबई की एक विशेष कोर्ट ने 2008 में हुए मालेगांव बम धमाका मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ आतंकी गतिविधियों, आपराधिक साजिश, हत्या व अन्य धाराओं में आरोप तय कर दिए।
- 11 मई 2019 आरोपी समीर कुलकर्णी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है।
- 20 जून 2019 को मुंबई की विशेष एनआइए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की हफ्ते में एक बार हाजिर होने को लेकर छूट की मांग को खारिज कर दिया था।
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