Maharashtra Political Crisis: उद्धव ठाकरे की ऊर्जा के स्रोत हैं शरद पवार, अंतिम समय तक देते रहेंगे अपना समर्थन
Maharashtra Political Crisis एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने खुद आगे बढ़कर मोर्चा न संभाला होता तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बागियों के सामने कब के घुटने टेक चुके होते। पवार ने यह कहते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह अंतिम समय तक उद्धव ठाकरे को अपना समर्थन देते रहेंगे।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र में संभवतः राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने खुद आगे बढ़कर मोर्चा न संभाला होता, तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बागियों के सामने कब के घुटने टेक चुके होते। पवार ने रविवार को भी यह कहते हुए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है कि वह अंतिम समय तक उद्धव ठाकरे को अपना समर्थन देते रहेंगे।
इस तरह बदले उद्धव ठाकरे के सुर
गुवाहाटी में बागी विधायकों की संख्या बढ़ती देख उद्धव ठाकरे ने 22 जून को ही मुख्यमंत्री का सरकारी निवास ‘वर्षा’ छोड़ दिया था। वर्षा छोड़ने के पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जनता को संबोधित करते हुए उद्धव निराश दिख रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का कोई मोह नहीं है। यदि बागी विधायक उनके सामने आकर कहें तो वे मुख्यमंत्री पद क्या, शिवसेना अध्यक्ष पद भी छोड़ने को तैयार हैं। लेकिन अगले ही दिन शरद पवार अपनी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ जब उनके निजी निवास मातोश्री पहुंचे और उनसे करीब डेढ़ घंटे चर्चा की, तो उद्धव के सुर बदल गए। उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे। यह बात उन्होंने शरद पवार के यह कहने के बाद कहनी शुरू की है कि बहुमत का फैसला तो सदन में ही होगा।
शरद पवार के गुरुमंत्र का कमाल
जाहिर है, शरद पवार राजनीतिक के मंजे खिलाड़ी हैं। उन्हें सियासत के हर दांव व कानून की जानकारी उद्धव और संजय राउत से ज्यादा है। पवार के इसी गुरुमंत्र का कमाल है कि एक के बाद एक विधायकों के पलायन के बावजूद अब उद्धव आश्वस्त हैं कि कुर्सी आसानी से नहीं छूटने वाली। शरद पवार जानते हैं कि बागी विधायकों की संख्या दो तिहाई से ज्यादा होने के बावजूद एकनाथ शिंदे गुट को विधानसभा में पृथक गुट की मान्यता मिलना आसान नहीं होगा। पवार ने दिल्ली पहुंचने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का भी जिक्र किया, जो इन परिस्थितियों में महाविकास आघाड़ी के लिए मददगार हो सकता है। पवार को यह भरोसा भी है कि अभी भले विधायकों का पलायन गुवाहाटी की ओर होता जा रहा हो, लेकिन एक बार मुंबई लौटने के बाद कुछ बागी विधायक लौटकर शिवसेना में आ सकते हैं। कुछ शिवसेना की दहशत के कारण, तो कुछ स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे के कारण। पवार ने यह बात भी पत्रकारों से बात करते हुए दोहराई।
इसलिए भी आश्वस्त हैं उद्धव ठाकरे
गौरतलब है कि विधानसभा में फिलहाल कोई अध्यक्ष ने होने के कारण उपाध्यक्ष ही अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल शरद पवार की पार्टी राकांपा से ही हैं। उद्धव ठाकरे इसलिए भी आश्वस्त हैं। बागी विधायकों द्वारा बार-बार यह आरोप लगाया जा रहा है कि सत्ता में राकांपा की साझेदारी के कारण उन्हें सम्मान नहीं मिल पा रहा है। सत्ता का सारा लाभ राकांपा उठा रही है, सिर्फ मुख्यमंत्री पद शिवसेना के पास है। वास्तव में 2019 में शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनाने का फैसला करने वाले शरद पवार ने इसलिए ही उद्धव ठाकरे को पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री बनने का न्यौता दिया था, ताकि वह मुख्यमंत्री पद के लालच में कहीं हिल न सकें। शरद पवार की यह चाल काम आ रही है।