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Maharashtra Political Crisis: महाराष्‍ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट से गुहार, ऐसे विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक

महाराष्‍ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है जिसमें उन विधायकों को पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है जिन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है या अयोग्य करार दिए गए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 12:53 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jun 2022 02:36 AM (IST)
Maharashtra Political Crisis: महाराष्‍ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट से गुहार, ऐसे विधायकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक
महाराष्‍ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है

नई दिल्‍ली, एएनआइ। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें ऐसे विधायकों के पांच साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है जिन्होंने या तो इस्तीफा दे दिया है या जो विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए हैं।अधिवक्ता वरिंदर कुमार शर्मा और वरुण ठाकुर के जरिये दाखिल आवेदन के मुताबिक, 'राजनीतिक पार्टियां इस हालात का गलत फायदा उठा रही हैं और विभिन्न राज्यों में चुनी हुई सरकार को खत्म कर रही हैं।'

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि हाल ही में 18 से 22 जून के बीच महाराष्ट्र में भी यही स्थितियां देखने को मिलीं। कुछ राजनीतिक दल फिर से देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए, हम शीर्ष अदालत की ओर से तत्काल उक्‍त निर्देश दिए जाने की मांग करते हैं।

समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अपनी लंबित याचिका में एक आवेदन दाखिल किया था। इसमें उन सांसदों और विधायकों को इस्तीफे या विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने की तारीख से पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की ऐसी ही मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने 7 जनवरी, 2021 को केंद्र सरकार एवं अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मौजूदा याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रतिवादी केंद्र सरकार एवं अन्य ने आज तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया।

आवेदनकर्ता का कहना है कि उनकी मांग लोकतंत्र में दलगत राजनीति के महत्व और संविधान के तहत सरकारों की स्थिरता से संबंधित है। आवेदन में कहा गया है कि हमें असहमति और दलबदल के बीच की रेखा को स्पष्ट करने की जरूरत है, ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों को संवैधानिक विचारों के साथ संतुलन में रखा जा सके। इस तरह के संतुलन को बनाए रखने में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे में न्यायालय की भूमिका यह पता लगाने की है कि क्या अध्यक्ष ने अपने पद की गरिमा को बरकरार रखा है।


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