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Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे गुट ने उद्धव खेमे के 14 विधायकों को जारी किया व्हिप उल्लंघन का नोटिस; आदित्‍य ठाकरे को छोड़ा, बताई वजह

whip violation notice to uddhav camp एकनाथ शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले ने उद्धव ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को व्हिप उल्लंघन का नोटिस जारी कर दिया है। इससे सियासी खींचतान बढ़ती नजर आ रही है। नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के रुख पर हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 10:28 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 07:20 AM (IST)
Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे गुट ने उद्धव खेमे के 14 विधायकों को जारी किया व्हिप उल्लंघन का नोटिस; आदित्‍य ठाकरे को छोड़ा, बताई वजह
shinde faction notice एकनाथ शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को व्हिप उल्लंघन का नोटिस दिया है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के 40 विधायक खुद को असली शिवसेना करार दे रहे हैं। शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले ने उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को व्हिप उल्लंघन का नोटिस जारी कर दिया है। भरत गोगावले ने बताया कि सोमवार को शिवसेना के 15 विधायकों ने सरकार के विश्वासमत के विरोध में मतदान किया था। व्हिप उल्लंघन के कारण इन 14 विधायकों को अयोग्‍य घोषित करने का नोटिस दिया गया है।

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आदित्‍य ठाकरे को नहीं दी नोटिस, बताई वजह

भरत गोगावले बताया कि 15वें विधायक के रूप में आदित्‍य ठाकरे को नोटिस नहीं दिया गया है, क्योंकि हम बालासाहब ठाकरे का सम्मान करते हैं। भरत गोगावले का बयान ऐसे वक्‍त में सामने आया है, जब एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिया है कि वह खुद शिवसेना विधायक दल के नेता हैं और व्हिप का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सनद रहे शिवसेना के उद्धव गुट की ओर से भी व्हिप के उल्‍लंघन को लेकर विधायकों की अयोग्‍यता का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा का मंथन

इस बीच डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के आवास पर प्रदेश भाजपा के कोर कमेटी की बैठक हुई जिसमें कई दिग्‍गज नेता मौजूद रहे। महाराष्ट्र भाजपा नेता गिरीश महाजन ने इस बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सीटी रवि भी मौजूद थे। बैठक राष्ट्रपति चुनाव को लेकर थी, क्योंकि एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 14 जुलाई को महाराष्‍ट्र आएंगी। महाजन ने बताया कि कैबिनेट विस्तार को लेकर बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई।

कांग्रेस में फूट की अफवाह, अशोक चह्वाण ने बताई वजह

सियासी खींचतान के बीच शिंदे सरकार ने सोमवार को फ्लोर टेस्‍ट भी पास कर लिया। कांग्रेस के कुल 11 विधायक भी शिंदे सरकार के विश्वासमत के विरुद्ध मतदान करने सोमवार को विधानसभा नहीं पहुंच सके। इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों के मतदान प्रक्रिया से बाहर रहने के कारण कांग्रेस विधायक दल में भी फूट की अफवाह चोर पकड़ने लगी है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने बाद में स्पष्टीकरण दिया है कि वह थोड़ा देर से पहुंचे और सदन का गेट बंद हो जाने के कारण अंदर नहीं जा सके।

कांग्रेस के कई विधायक नहीं पहुंचे विधानसभा

  • अशोक चह्वाण
  • विजय वडेट्टीवार
  • धीरज देशमुख
  • प्रणति शिंदे
  • जितेश अंतपुरकर
  • जीशान सिद्दीकी
  • राजू अवाले
  • मोहन हंबारदे
  • कुणाल पाटिल
  • माधवराव जवालगांवकर
  • शिरीष चौधरी

राकांपा के छह विधायक भी रहे गोल

सदन में समाजवादी पार्टी के दो एवं एआइएमआइएम के एक सदस्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। राकांपा के छह विधायक मतदान प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए सदन ही नहीं पहुंचे। भाजपा के दो विधायक (मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप) बीमारी की वजह से नहीं आए और एआइएमआइएम के एक विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल सदन की कार्यवाही से दूर रहे।

राकांपा के ये विधायक नहीं पहुंचे

  • अनिल देशमुख (जेल में हैं)
  • नवाब मलिक (जेल में हैं)
  • दत्तात्रेय भणाने
  • अन्ना भोंसले
  • बबनदादा शिंदे
  • संग्राम जगताप

बागियों को वापस बुलाने वाले शिवसेना विधायक भी शिंदे के साथ गए

विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले शिवसेना विधायक संतोष बांगर ने भी पाला बदल लिया और शिंदे गुट के साथ आए गए। इस तरह शिंदे गुट में विधायकों की संख्या 40 हो गई है। उद्धव गुट के विधायक बांगर ने बगावत के दौरान शिंदे गुट के विधायकों वापस लाने की बहुत कोशिश की थी।

शिंदे सरकार को 164 मत

महाराष्ट्र विधानसभा में सोमवार को विश्वास प्रस्ताव हुए मतदान में 288 सदस्यीय सदन में शिंदे सरकार को 164 मत मिले और विरोध में 99 मत। हाल ही में शिवसेना के एक विधायक के निधन से सदस्यों की संख्या 287 रह गई है जिसमें बहुमत के लिए 144 मतों की जरूरत थी।

सदन में दो दिन में शिंदे सरकार की दूसरी जीत

दो दिन के भीतर सदन में शिंदे सरकार की यह दूसरी जीत थी। रविवार को स्पीकर के चुनाव के दौरान भाजपा के राहुल नार्वेकर के पक्ष में 164 और उनके प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के राजन साल्वी के पक्ष में 107 मत पड़े थे।

धन्यवाद ज्ञापन के दौरान शिंदे का छलका दर्द

विश्वास मत जीतने के बाद सदन में धन्यवाद ज्ञापन के दौरान मुख्यमंत्री शिंदे का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा, 'मैं गद्दार नहीं हूं। मैं शिवसैनिक हूं। महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के दौरान अनेक शिवसैनिकों पर झूठे मामले दर्ज किए गए। उन्हें तड़ीपार का नोटिस दिया गया। उन्हें धमकियां दी जाती रही हैं।'

चीफ व्हिप को लेकर उद्धव गुट फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त स्पीकर द्वारा एकनाथ शिंदे गुट के चीफ व्हिप को मान्यता दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सोमवार को उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर नव नियुक्त स्पीकर के आदेश को चुनौती दी। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनील प्रभु की नई याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की। अब कोर्ट इस याचिका पर भी मुख्य मामले के साथ 11 जुलाई को विचार करेगा।

सुप्रीम कोर्ट के रुख पर नजरें

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर ने रात में शिंदे गुट के नए चीफ व्हिप को मान्यता दी है जो कि गलत है। स्पीकर ऐसा नहीं कर सकते। सुनील प्रभु ने गत एक जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 विद्रोही विधायकों को निलंबित करने की मांग की गई है, जिनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही लंबित है। महाराष्ट्र में कानूनी लड़ाई अभी भी याचिकाओं के जरिए कोर्ट के रिकार्ड में एक-एक करके एकत्र होती जा रही है।

शिंदे ने बताईं विद्रोह की वजहें

महाराष्ट्र विधानसभा में आसानी से विश्वास मत जीतने के बाद भावुक हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में अपनी उपेक्षा से लेकर विद्रोह तक की कहानी को सामने रखा। शिंदे ने कहा कि उन्हें महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में उन्हें सीएम बनाने का निर्णय हुआ था। उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा भी चली थी। शिवसेना का नाम लिए बिना शिंदे ने कहा कि उन्हें लंबे समय से दबाया जा रहा था। उनके साथ गलत व्यवहार किया गया।

जल्‍द कैबिनेट विस्तार पर फैसला

शिंदे ने कहा कि उन्होंने शिवसेना से 'बगावत' नहीं 'विद्रोह' किया। अब राज्य में जनता के मन की वह सरकार आ चुकी है, जिसकी अपेक्षा ढाई साल पहले की गई थी। पेट्रोल और डीजल की पर वैट कम करने की घोषणा करते हुए शिंदे ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला किया जाएगा। कैबिनेट विस्तार के बारे में उन्होंने कहा कि इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

विद्रोह के रास्ते पर क्यों चले शिंदे

शिंदे ने कहा, 'उस दिन (यानी 20 जून को विधान परिषद चुनाव के दिन) मेरे साथ जिस तरह का बर्ताव हुआ, उसके गवाह इधर के और उधर के कई विधायक हैं, जिसमें सुनील प्रभु भी हैं। मैं पूरी विनम्रता से कह रहा हूं कि उसके बाद मुझे क्या हुआ, ये मुझे खुद पता नहीं। बालासाहब अक्सर कहा करते थे कि अन्याय के विरुद्ध न्याय मांगने के लिए जो कुछ भी करना पड़े करना चाहिए। उसके बाद मैंने फोन लगाना शुरू किया। लोग इकट्ठा होने लगे। मैं कहां जा रहा हूं, क्या कर रहा हूं, क्यों जा रहा हूं, मैंने इस बारे में किसी से कोई विचार नहीं किया। और निकल पड़ा। आखिर में उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार के गठन के असली कलाकार फडणवीस हैं।

एमवीए सरकार में सीएम बनते-बनते रह गए थे

शिंदे ने कहा कि 2019 में वह एमवीए सरकार सीएम बनने वाले थे। लेकिन उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना कहा कि उनसे कहा गया था कि राकांपा और कांग्रेस के विधायक उनके तहत काम नहीं करना चाहते। बाद में राकांपा के अजीत पवार ने उनसे कहा था कि उनकी की पार्टी को उनके मुख्यमंत्री बनने पर कोई आपत्ति नहीं थी। उनकी पार्टी में ही एक 'दुर्घटना' हो गई, लेकिन यह दुर्घटना क्या थी, इसके बारे में नहीं बताया।

हां, यह ईडी की सरकार है : फडणवीस

विश्वास मत के बाद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब कुछ विधायक मतदान कर रहे थे, तब विपक्षी खेमे की तरफ से 'ईडी', 'ईडी' के नारे लगाए जा रहे थे। भाजपा नेता ने कहा, 'यह सच है, नई सरकार ईडी द्वारा ही बनाई गई है और इस ईडी का मतलब एकनाथ और देवेंद्र से हैं।' पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना फडणवीस ने कहा कि पिछले कुछ साल में राज्य में नेतृत्व की उपलब्धता का अभाव था, लेकिन अब वे और शिंदे जनता के लिए हर समय उपलब्ध रहेंगे।


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