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    Maharashtra: दलबदल विरोधी कानून की होगी समीक्षा, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में ओम बिरला ने की घोषणा

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Mon, 29 Jan 2024 07:18 AM (IST)

    केंद्र सरकार दलबदल विरोधी कानून नू की समीक्षा कराने जा रही है। इसके लिए बनी समिति की अध्यक्षता महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर करेंगे। इसकी घोषणा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुंबई में रविवार को समाप्त हुए 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में की। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बजट सत्र से पहले संसद परिसर में मजबूत सुसुक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम भी उठाए जाएंगे।

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    दलबदल विरोधी कानून की होगी समीक्षा, ओम बिरला ने की घोषणा

     राज्य ब्यूरो , मुंबई। केंद्र सरकार दलबदल विरोधी कानून नू की समीक्षा कराने जा रही है। इसके लिए बनी समिति की अध्यक्षता महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर करेंगे। इसकी घोषणा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मुंबई में रविवार को समाप्त हुए 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में की।

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    संसद परिसर में मजबूत सुसुक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम भी उठाए जाएंगे

    लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि बजट सत्र से पहले संसद परिसर में मजबूत सुसुक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम भी उठाए जाएंगे। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पीठासीन अधिकारियों ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता से जिम्मेदारी है कि वे अपनी कार्यशैली में आवश्यक बदलाव लाएं और यदि आवश्यक हो तो नियमों में संशोधन भी करें। ताकि इन संस्थाओं में जनता का विश्वास बढ़े। बिरला ने दलबदल विरोधी कानून की समीक्षा पर भी जोर

    दिया और इसके लिए एक समिति बनाने की जानकारी दी।

    गौरतलब है कि इसी माह राहुल नार्वेकर शिवसेना (यूबीटी) एवं शिवसेना शिंदेशिं दे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विधायकों की अपात्रता पर फैसला सुना चुके हैं। अगले कुछ दिनों में ही वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के भी दोनों गुटों की याचिकाओं पर फैसला सुनाने वाले हैं। हालांकि, उनके फैसले को लेकर शिवसेना के दोनों गुटों ने असंतुष्टि जाहिर की है। शिंदे गुट ने उनके फैसले को मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी है तो उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में।

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही ये बात

    सम्मेलन में समापन भाषण देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन के खराब होते माहौल पर चिंता व्यक्त की। कहा कि सदन में होने वाली बहसें ही लोकतंत्र की आधारशिला हैं। लेकिन, अब ये बहस झगड़ों में बदल गई हैं। इसलिए, सदन की मर्यादा सुनिसु श्चित करने के लिए विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों को अपने अधिकारों का उपयोग करना चाहिए।

    राज्यसभा के पिछले सत्र में ही कुछ अप्रिय स्थितियों का सामना कर चुके हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि गड़बड़ी और व्यवधान की योजना बनाई जाती है। जिनके इशारे पर तख्तियां छापी जाती हैं और नारे गढ़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि संस्थाओं में जनता का विश्वास कम होना समाज के लिए कैंसर है।

    राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही ये बात

    प्रेट्र के अनुसार, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि असहमति किसी न किसी रूप में हमेशा ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा रही है, लेकिन यह एक सीमा के भीतर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर हाल में

    सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए।