Maharashtra Politics: आज महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव; नाटकीय घटनाक्रम के आसार, स्थितियों को देख कानूनी विशेषज्ञ भी हैरान
Maharashtra Assembly Speaker election रविवार को होने जा रहे महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव नाटकीय होने के आसार हैं। जानकारों का कहना है कि इस मसले पर भी शिवसेना सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। जानिये क्या बन रहे सियासी समीकरण...
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र की नई सरकार रविवार को बुलाए गए विशेष सत्र में अपना विधानसभा अध्यक्ष चुनेगी। यह चुनाव अत्यंत नाटकीय होने के आसार नजर आ रहे हैं। इस चुनाव के बाद खुद को असली बता रही उद्धव ठाकरे की शिवसेना विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया अथवा व्हिप के मुद्दे पर दोबारा अदालत का रुख करती है तो ताज्जुब नहीं होगा। नई सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव एवं शिंदे सरकार का बहुमत सिद्ध करने के लिए तीन और चार जुलाई को विशेष अधिवेशन बुलाया गया है।
राजन साल्वी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा
पहले दिन ही विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा की ओर से शुक्रवार को ही राहुल नार्वेकर ने और शिवसेना की ओर से शनिवार को राजन साल्वी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है। लेकिन इस चुनाव का सबसे रोचक प्रश्न यह उभरकर आ रहा है कि इसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एकनाथ शिंदे की शिवसेना में से किसका व्हिप प्रभावी होगा। पार्टी में बगावत होने के बाद सिर्फ 16 सदस्यों वाली शिवसेना अपने सदस्य सुनील प्रभु को चीफ व्हिप (मुख्य सचेतक) मान रही है।
शिंदे गुट गोगावले को नियुक्त किया मुख्य सचेतक
एकनाथ शिंदे गुट ने भरत गोगावले को मुख्य सचेतक नियुक्त कर दिया है। माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव ध्वनिमत एवं सदस्यों की गिनती के आधार पर होगा। यदि ऐसा हुआ तो व्हिप की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। कौन से मुख्य सचेतक का व्हिप प्रभावी माना जाएगा, यह मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। दावे-प्रतिदावे दोनों ओर से किए जा रहे हैं।
किसका व्हिप प्रभावी होगा बड़ा सवाल
ठाकरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु का कहना है कि वह पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नियुक्त किए हुए मुख्य सचेतक हैं, इसलिए उनका व्हिप प्रभावी होगा। शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले अपनी 39 सदस्यों की संख्या के आधार पर कहते हैं कि दो-तिहाई से अधिक सदस्य उनके गुट में होने के कारण उनका व्हिप प्रभावी होगा।
कानून के जानकार भी असमंजस में
इस असमंजस की स्थिति को लेकर कानून विशेषज्ञ भी कोई स्पष्ट राय नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे मानते हैं कि चूंकि वर्तमान विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल तकनीकी आधार पर शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले की नियुक्ति खारिज कर चुके हैं, इसलिए रविवार को तो उद्धव गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु का व्हिप ही प्रभावी होगा।
सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है शिवसेना
संभव है कि शिंदे गुट भाजपा के साथ खड़ा होकर अपनी गिनती करवाए और ध्वनि मत से भाजपा का अध्यक्ष चुन भी लिया जाए। नया अध्यक्ष ही एक दिन बाद नई सरकार के विश्वास मत के समय सदन की कार्यवाही संचालित करेगा। लेकिन यह सारी प्रक्रिया निपटते ही शिवसेना व्हिप उल्लंघन करनेवाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने की मांग लेकर एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय में जा सकती है।
...तो फिर संकट में आ जाएगी नई सरकार
जाहिर है, अभी तो सर्वोच्च न्यायालय में शिवसेना ने शिंदे सहित सिर्फ 16 सदस्यों को ही अयोग्य ठहराने की याचिका दायर कर रखी है। लेकिन इस बार यह संख्या पूरे 39 सदस्यों की होगी। यदि सर्वोच्च न्यायालय ने 12 जुलाई को शिवसेना के दावे को सही मानते हुए शिंदे गुट के 39 सदस्यों की सदस्यता खारिज कर दी, तो नवगठित सरकार एक बार संकट में आ जाएगी।
उद्धव सरकार से बगावत करने वाले विधायक मुंबई लौटे
समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों की भारी सुरक्षा के बीच मुंबई वापसी हुई। 12 दिन बाद तीन राज्यों की यात्रा करने के बाद शनिवार देर शाम मुंबई लौटे विधायकों को भारी सुरक्षा के बीच कफ परेड स्थित होटल ताज प्रेसिडेंट ले जाया गया। ये विधायक रविवार को स्पीकर के चुनाव में हिस्सा लेंगे।
50 में से 39 विधायक शिवसेना के
उद्धव सरकार से बगावत करने वाले 50 में से 39 विधायक शिवसेना के हैं। इस बीच, बागी गुट के प्रवक्ता दीप केसरकर ने कहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना से निकाले जाने का जवाब कानूनी रूप से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे लोग उद्धव ठाकरे के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन उनके पत्र का जवाब कानूनी रूप से दिया जाएगा।