Coronavirus: महाराष्ट्र में कोरोना के 67123 नए मामले और 419 मौतें, जानें-कहां कितने मामले
Coronavirus नागपुर में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 6956 नए मामले सामने आए 5004 रिकवर हुए और 79 मौतें हुईं हैं। यहां कुल मामले 315999 हैं। कुल 243603 रिकवर हुए। सक्रिय मामले 66208 हैं। कोरोना से अब तक 6188 की जान जा चुकी है।
मुंबई, एएनआइ। Coronavirus: महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 67,123 नए मामले सामने आए, 56,783 डिस्चार्ज हुए और 419 मौतें हुई हैं। प्रदेश में सक्रिय मामले 6,47,933 हैं। कुल 30,61,174 अब तक डिस्चार्ज हुए हैं। कोरोना से 59,970 की मौत हो चुकी है। इधर, मुंबई में कोरोना के 8834 नए मामले सामने आए, 6,617 डिस्चार्ज हुए और 52 मौतें हुईं। कुल संक्रमित मामले 5,70,832 हैं। कुल 4,69,961 डिस्चार्ज हुए। सक्रिय मामले 87,369 हैं। कोरोना से 12,294 लोगों की मौत हुई है। वहीं, नागपुर में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 6956 नए मामले सामने आए, 5004 रिकवर हुए और 79 मौतें हुईं हैं। यहां कुल मामले 3,15,999 हैं। कुल 2,43,603 रिकवर हुए। सक्रिय मामले 66,208 हैं। कोरोना से अब तक 6,188 की जान जा चुकी है।
प्रदेश के कई जिलों में कोरोना के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। इधर, बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र की जेलों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने का शुक्रवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने सरकार से बताने को कहा है कि अब तक कितने कैदी और जेल कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जस्टिस नितिन जामदार और सीवी भाडंग की अवकाशकालीन पीठ ने सरकार से पूछा है कि जेलों में संक्रमण रोकने के लिए वह कौन सा उपाय कर रही है और क्या करने वाली है? अदालत ने इस सिलसिले में सरकार से विस्तृत विवरण देने को कहा है।
हाई कोर्ट ने अखबारों की हालिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा, 14 अप्रैल तक राज्य की 47 जेलों में 200 कैदी कोरोना संक्रमित थे। एक महीने के भीतर संक्रमित कैदियों की संख्या 42 से 200 तक पहुंच गई। इसके अलावा 86 कैदी भी संक्रमित हैं। राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि पिछले साल जुलाई में हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने कैदियों के संक्रमित होने के मामले में सुनवाई की थी। उस समय अदालत ने कई दिशा-निर्देश भी जारी किए थे। राज्य सरकार को इस बार भी उन्हीं दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में अदालती दखल की जरूरत है।