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गोविंद पंसारे हत्याकांड पर महाराष्ट्र सरकार को बांबे हाईकोर्ट की फटकार

Govind Pansare case. बांबे कोर्ट ने कहा कि राज्य बस चुपचाप तमाशा नहीं देख सकता। अगर आप अपने लोगों की रक्षा नहीं कर सकते तो आपको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 06:09 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 06:09 PM (IST)
गोविंद पंसारे हत्याकांड पर महाराष्ट्र सरकार को बांबे हाईकोर्ट की फटकार
गोविंद पंसारे हत्याकांड पर महाराष्ट्र सरकार को बांबे हाईकोर्ट की फटकार

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बुद्धिजीवी गोविंद पंसारे की हत्या की जांच में मामूली तरीके अपनाकर सरकार ने खुद को ही मजाक का विषय बना दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य बस चुपचाप तमाशा नहीं देख सकता। अगर आप (राजनेता) अपने लोगों की रक्षा नहीं कर सकते तो आपको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।

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जस्टिस एससी धर्माधिकारी और बीपी कोलाबावाला की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 28 मार्च को तलब किया है। ताकि वह इस मामले की धीमी प्रगति का कारण पूछ सकें। खंडपीठ ने कहा कि कहा कि महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य को अपने विचारकों और बुद्धिजीवियों पर गर्व होना चाहिए। सरकार को कुछ दबाव महसूस होना चाहिए। उसे कुछ दिन इसके परिणाम भुगतने होंगे। अक्सर पुलिस इन बातों से बच निकलती है। कोई मेमो जारी नहीं किया गया, कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया। जज ने कहा कि अगर अपराध की जांच अदालत के हस्तक्षेप पर ही होगी..मामले दर मामले, न्यायपालिका ही अंतिम उपाय है, तो यह बेहद दुखद है। हम समाज को क्या संदेश दे रहे हैं?

पंसारे के मामले में महाराष्ट्र सीआइडी के विशेष जांच दल (एसआइटी) की पेश की गई प्रगति रिपोर्ट को पढ़कर अदालत का गुस्सा भड़क गया है। अदालत में जजों ने बताया कि दो फरार आरोपितों की खोज के लिए उनके रिश्तेदारों से पूछताछ की गई है। इनमें से एक की महाराष्ट्र में एक अचल संपत्ति है। इसलिए उसका पता लगाने के लिए पुलिस वहां भी गई थी।

खंडपीठ ने कहा कि एसआइटी को यह समझना चाहिए कि अपराध हुए चार साल हो गए हैं और अपराधी अब तक इसी राज्य में या फिर क्राइम स्पॉट के पास मौजूद नहीं रहेगा। उन्हें देश भर में उसकी तलाश करने से किसने रोका है? किसी की अपनी एक संपत्ति होने का यह मतलब नहीं कि वह वहीं आसपास ही रहेगा। आपने जो छोटे-मोटे कदम उठाए हैं, उससे आपका अपना ही मजाक बन गया है। आप लोग की वजह से ही जनता में यह संदेश जाता है कि कुछ लोग बचकर निकल सकते हैं या जांच से बच जाते हैं क्योंकि उन्हें किसी तरह का संरक्षण प्राप्त है।

उल्लेखनीय है कि पंसारे को 16 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर में गोली मारी गई थी। घायल पंसारे की मृत्यु कुछ दिन बाद 20 फरवरी को हुई थी।


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