Monkeypox: मंकीपाक्स को लेकर घबराने की जरूरत नहीं: विशेषज्ञ
Maharashtra संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि मंकीपाक्स मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। हमें यह अध्ययन करने की जरूरत है कि यह कैसे विकसित हो रहा है। कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं।
पुणे, एएनआइ। यूरोप में मंकीपाक्स के मामले बढ़ रहे हैं। इस बीच, संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. ईश्वर गिलाडा ने शनिवार को कहा कि इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। इससे पहले केंद्र ने शुक्रवार को नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को अलर्ट जारी कर विदेश में मंकीपाक्स के मामलों के संबंध में स्थिति पर पैनी नजर रखने को कहा। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। हमें यह अध्ययन करने की जरूरत है कि यह कैसे विकसित हो रहा है। कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस समय हम नहीं जानते कि इस बीमारी से वास्तव में कितने लोग मर रहे हैं। हम इसका उपचार नहीं जानते हैं । शायद चेचक के टीके को उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मंकीपाक्स के संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य रूप से सुस्ती शामिल हैं। बुखार के समय अत्यधिक खुजली वाले दाने विकसित हो सकते हैं, जो अक्सर चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से हो सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकीपाक्स हो सकता है।
गौरतलब है कि यूरोप महाद्वीप इस समय मंकीपाक्स की चपेट में है। यूरोप में पहले मामले की पुष्टि सात मई को हुई थी। संक्रमित व्यक्ति नाइजीरिया से ब्रिटेन लौटा था। तब से अब तक 100 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है। ब्रिटेन में अब तक 20 मामलों की पुष्टि हुई है। स्पेन , बेल्जियम, पुर्तगाल, फ्रांस में भी संक्रमण के मामले मिले हैं। यूरोप के साथ उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया में भी लोग चपेट में आए हैं। इसका कारण अभी भी अस्पष्ट है। इस बीच, रूसी मीडिया के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के प्रकोप पर चर्चा के लिए विशेषज्ञों की आपात बैठक बुलाई है। इससे पहले अफ्रीका से बाहर शायद ही मंकीपाक्स का मामला मिला हो। इसलिए अफ्रीका से बाहर संक्रमण का फैलना चिंताजनक है। हालांकि विज्ञानियों को कोरोना की तरह इसके फैलने की आशंका नहीं है। राबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के फैबियन लेंडर्टज ने कहा, यह महामारी है, लेकिन लंबे वक्त तक इसके प्रकोप का सामना नहीं करना पड़ेगा। संक्रमितों की पहचान आसानी से की जा सकती है।