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दिव्यांग है लेकिन नहीं थमते ज्योति के पैर, डांस से हजारों युवाओं को किया प्रेरित

29 वर्षीय दिव्यांग ज्योति मस्तेकर ने अपने डांस की प्रतिभा से सभी का मन जीत लिया है। ज्योति एक बार फिर से बड़े नृत्य मंच पर अपनी प्रतिभा से जलवा दिखाने वाली हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 10:58 AM (IST)
दिव्यांग है लेकिन नहीं थमते ज्योति के पैर, डांस से हजारों युवाओं को किया प्रेरित
दिव्यांग है लेकिन नहीं थमते ज्योति के पैर, डांस से हजारों युवाओं को किया प्रेरित

मुंबई, जेएनएन। हौसलों के आगे बड़ी से बड़ी चट्टान भी चकनाचूर हो जाती है। इसके तमाम उदाहरण आए दिन देखने को मिल जाते हैं। ऐसा ही उदाहरण मुंबई की रहने वाली 29 वर्षीय ज्योति मस्तेकर ने पेश किया है। दिव्यांग ज्योति मस्तेकर के पैर में जब घुंघरे बंध जाते हैं और कानों में ढोलक और म्यूजिक की धुन सुनाई देती है तो उसके पैर थमने का नाम नहीं लेते। ज्योति मस्तेकर ने अपनी इसी डांस प्रतिभा से हजारों युवाओं को प्रेरित किया है, जो अपने दम पर कुछ भी कर सकते हैं।

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ज्योति मस्तेकर एक बार फिर नारायण सेवा संस्थान द्वारा मुंबई में 10 नंवबर को कराए जाने वाले 14वें दिव्यांग टैलेंट शो का हिस्सा होंगी। इस दौरान ज्योति ब्लॉकबस्टर नृत्य प्रदर्शन करेंगी। देश भर के हजारों युवाओं के लिए आज प्रेरणा बन चुकीं ज्योति मस्तेकर मुंबई की तंग बस्ती के गलियारों में पली-बढ़ी हैं। ज्योति मस्तेकर चव्हाण का एक हाथ दूसरे से हाथ से काफी छोटा है, बावजूद इसके ज्योति के अंदर नृत्य के लिए उत्साह बेशुमार है, जिसके बलबूते वे ऊंचाईंया छू रही हैं।

जब ज्योति का लगा सदमा

ज्योति मस्तेकर ने स्कूल के समय से ही नृत्य कला सीखी और कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था। समय बदलता गया ज्योति मस्तेकर अपनी इश प्रतिभा की और धनी होती गईं। उम्र की दहलीज लांघते हुए और दिव्यांग वाले टैग की बेड़ियों को तोड़कर ज्योति मस्तेकर ने अपनी नृत्य कला में निपुणता हासिल की। हालांकि, ज्योति को उस समय सबसे बड़ा धक्का लगा जब उसके पिता इसी साल की शुरुआत में इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

ज्योति बताती हैं उनके पिता उनके नृत्य के लिए प्रेरणास्त्रोत थे। ज्योति मस्तेकर के अंदर आत्मविश्वास और उत्साह बनाए रखने के लिए वे ज्यादातर ज्योति के साथ रहते थे। पिता घर का भरण पोषण करते थे, लेकिन उनके निधन के बाद घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनकी मां ने लोगों के घर जा-जाकर काम करना शुरू कर दिया। आज भी ज्योति आर्थिक-तंगी से जूझ रही हैं। हालांकि, ज्योति शादीशुदा हैं और एक 4 साल के बेटे विहान की माँ भी हैं।

मेहनत से साधना है लक्ष्य पर निशाना

अपने परिवार को सुखद और संवारने के लिए ज्योति मस्तेकर अपने लक्ष्य के प्रति मेहनत के साथ लगी हुई हैं। नृत्य जैसी कला के प्रति लोगों की रूढ़िवादी सोच होने के कारण शादी के बाद ज्योति मस्तेकर को काफी कुछ सुनना पड़ा, लेकिन इन बातों को ज्योति ने नज़रअंदाज कर दिया और अपने लक्ष्य पर निशाना बनाए रखा। ज्योति ने अलग-अलग दिव्यांग नृत्य समूहों के साथ परफॉर्मेंस किया तो वहीं लावणी जैसे (मराठी लोक नृत्य) नृत्यों से अपना हुनर दिखाया। इसके अलावा वह बॉलीवुड, फ्रीस्टाइल और अन्य नृत्यरूपों का भी प्रदर्शन करती हैं।

इस बात को लेकर नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि जब वे पहली बार ज्योति से मिले थे तो उनकी बेबाकी और कुछ कर दिखाने के जज्बे को देखकर वे हैरान रह गए थे। उसकी बातों से और उसके काम से एकपल भी नहीं नहीं लगा कि ज्योति किसी भी रूप से कमजोर है या मजबूर है। प्रशांत अग्रवाल ने कहा है, "ज्योति मस्तेकर की वजह से हम दिव्यांग टैलेंट शो के जरिए कई सारी जिंदगियों में ज्योति लाना चाहते हैं और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहते हैं।"


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