Move to Jagran APP

मास्‍क बनाने में जुटीं आयकर अधिकारी सारिका जैन, कोरोना से मुकाबले में दे रहीं हैं योगदान

मुंबई में आयकर उपायुक्त लॉक डाउन का किया घर पर सदुपयोग कोरोना से मुकाबले में दिया योगदान हर दिन मास्क बनाकर पुलिस कर्मियों और जरूरतमंदों में बांटती हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 26 Mar 2020 07:46 AM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2020 07:46 AM (IST)
मास्‍क बनाने में जुटीं आयकर अधिकारी सारिका जैन, कोरोना से मुकाबले में दे रहीं हैं योगदान
मास्‍क बनाने में जुटीं आयकर अधिकारी सारिका जैन, कोरोना से मुकाबले में दे रहीं हैं योगदान

मुंबई, राज्य ब्यूरो। उनका काम है लोगों की आय पर नजर रखना। मुंबई में आयकर उपायुक्त हैं वह। लेकिन जबसे मुंबई में कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ है, वह घर पर ही मास्क तैयार करने में जुट गई हैं। सारिका जैन बताती हैं कि जब मुंबई में कोरोना का कहर टूटा तो उन्होंने महसूस किया कि मास्क की बेहद कमी है। लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं। बाजारों से मास्क गायब भी हो गए हैं। सारिका जैन ने तभी समय मिलने पर मास्क बनाने का निश्चय कर लिया। एक सिलाई मशीन और सूती कपड़ा मंगाया और शुरू कर दिया काम।

loksabha election banner

 एक घंटे में तैयार होते हैंं 10 मास्क

रविवार को जब पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू का पालन कर रहा था, उस दिन सारिका ने अपनी सास की मदद से मास्क बनाने की शुरुआत कर दी। संयोग कहिए या दुर्योग कि पहले महाराष्ट्र सरकार, फिर केंद्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। अब तो वह दिन में करीब पांच घंटे घर में मास्क बनाने का काम करती हैं। एक घंटे में करीब 10 मास्क तैयार हो जाते हैं। रोज पांच घंटे वह यह काम करती हैं। यानी रोज 50 मास्क तैयार होते हैं। इन्हें वह अपने बांद्रा स्थित घर के आसपास ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों अथवा अन्य जरूरतमंद लोगों को बांट देती हैं।

यह समय एक बड़ी चुनौती 

सारिका ने कभी सिलाई सीखी नहीं थी। बस बचपन में मां को घर में सिलाई करते देखा था। उसी दौरान गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलती हुए अपनी गुड़िया के लिए थोड़े-बहुत कपड़े सिले थे। लेकिन 2007 के बाद उन्होंने सिलाई मशीन को हाथ भी नहीं लगाया था। जब कोरोना के कारण लॉकडाउन की आशंका बनने लगी, तभी से उन्होंने मास्क तैयार करने का मन बना लिया था। वह कहती हैं कि आजकल हम सभी घर पर बैठे हैं। हर सक्षम व्यक्ति यदि इस तरह का कोई समाजोपयोगी काम करने लगे तो बहुत से लोगों की मदद हो सकती है। वह कहती हैं कि यह समय एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। सरकार के लिए भी यह अनुभव बिल्कुल नया है। फिर भी वह अपनी तरफ से इसे नियंत्रित करने की भरपूर कोशिश कर रही है। हम लोगों को भी चाहिए कि हम सरकार का सहयोग करें। हम अक्सर अपने जीवन में समय की कमी की शिकायत करते रहते हैं। अब परिस्थितिवश समय मिल गया है, तो इस समय का उपयोग हमें अपने आपको निखारने में करना चाहिए। ताकि वक्त आने पर हम अपना 100 फीसद नहीं, बल्कि 120 फीसद देने को तैयार रहें।

 जीवन में काफी संघर्ष के बाद मिला यह मुकाम

सारिका जैन काफी संघर्ष करके अपने आज के मुकाम तक पहुंची हैं। उड़ीसा के कांताबंजी निवासी एक मध्यमवर्गीय मारवाड़ी परिवार में जन्मी सारिका को दो वर्ष की उम्र में ही पोलियो हो गया था। डॉक्टर ने गलत दवाई दे दी तो आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। कुछ समय तक कोमा में बिस्तर पर रहना पड़ा। लेकिन माता-पिता ने हार नहीं नहीं। उन्हें पढ़ाया-लिखाया। स्कूल में उनके साथ सहपाठी भेदभाव करते थे। उन्हें यह तो लगता था कि भेदभाव हो रहा है। लेकिन क्यों हो रहा है, यह समझ नहीं पाती थीं। बनना तो चाहती थीं डॉक्टर। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति उस पढ़ाई के अनुकूल नहीं थी। उनके कस्बे में कॉमर्स की पढ़ाई का साधन उपलब्ध था। इसलिए कॉमर्स से पढ़ाई की और सीए बनी। सीए बनने के बाद किसी से सुना कि आईएएस बड़ी चीज होती है। तो घऱवालों के विरोध के बावजूद उसकी पढ़ाई में जुट गईं और पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में आईआरएस की रैंकिंग हासिल करने में सफल रहीं, और आज मुंबई में आयकर उपायुक्त की जिम्मेदारी निभा रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.