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Coronavirus: एआई युक्त एक्स-रे तकनीक से पांच मिनट में कोरोना की जांच संभव

Coronavirus जांच में पॉजिटिव पाए गए रोगियों की रिपोर्ट 95 फीसद से अधिक तक सही पाई गई हैं जबकि निगेटिव मामलों में यह 100 फीसद सही होती है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 08:19 PM (IST)
Coronavirus: एआई युक्त एक्स-रे तकनीक से पांच मिनट में कोरोना की जांच संभव
Coronavirus: एआई युक्त एक्स-रे तकनीक से पांच मिनट में कोरोना की जांच संभव

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Coronavirus: स्वैब टेस्ट के जरिए कोविड-19 की जांच रिपोर्ट आने में हो रही देरी से जहां मुंबई जैसे महानगरों में संकट गहरा होता दिख रहा है, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युक्त एक्स-रे आधारित तकनीक से पांच मिनट में कोविड-19 रोगी पुष्टि होना एक राहत देने वाली खबर है। यह तकनीक सॉफ्टवेयर क्षेत्र की नासिक स्थित कंपनी ईएसडीएस सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स प्रालि ने विकसित की है। जिसमें संदिग्ध व्यक्ति की छाती का एक्स-रे लेकर कंपनी को भेजा जाता है, और वह अपने डाटा बैंक की मदद से पांच मिनट में जानकारी दे देती है कि यह व्यक्ति पॉजिटिव है या निगेटिव।

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कोविड-19 की पहचान के लिए अभी अपनाई जा रही तकनीक स्वैब टेस्ट में अक्सर प्राथमिक रिपोर्ट गलत आ जाती है, लेकिन एक्स-रे और सीटी स्कैन इस रोग की पहचान के सबसे अच्छे तरीके माने गए हैं। कोविड-19 की समस्या छाती में कफ जमने के साथ शुरू होती है। छाती में कफ बढ़ने के साथ-साथ यह गहराती जाती है। इसलिए प्रारंभिक दौर में ही छाती के एक्स-रे से इस रोग की पहचान करके इसका इलाज या सावधानियां बरतने का सिलसिला शुरू किया जा सकता है।

ईएसडीएस के पीयूष सोमानी कहते हैं कि जैसे ही छाती का एक्स-रे रिपोर्ट ईएसडीएस द्वारा तैयार सॉफ्टवेयर में अपलोड की जाती है, उसके कुछ सेकेंड के अंदर ही पता लग जाता है कि यह व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं, या कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना कितनी अधिक है इसमें। सोमानी के अनुसार उनके पास मौजूद डाटा बैंक की मदद से की गई जांच में पॉजिटिव पाए गए रोगियों की रिपोर्ट 95 फीसद से अधिक तक सही पाई गई हैं, जबकि निगेटिव मामलों में यह 100 फीसद सही होती है। ईएसडीएस ने इसे एए प्लस तकनीक नाम दिया है।

इस तकनीक का लाभ जांच में समय कम लगने के साथ-साथ खर्च भी कम होने के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा देश के किसी भी हिस्से, यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी इस तकनीक का लाभ लिया जा सकता है। इस तकनीक में मरे हुए व्यक्ति की छाती का एक्स-रे भी अपलोड करके यह पता लगाया जा सकता है कि वह कोरोना पॉजिटिव था या नहीं। यह सुनिश्चित होने के बाद ही उसके परिजनों को शव सौंपा जा सकता है। चूंकि एक्स-रे मशीनें आजकल सभी बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक में मौजूद हैं, इसलिए देश भर में इस तकनीक का तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है। अन्य स्थानों पर पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सोमानी के अनुसार कहीं से व्यक्ति की छाती का एक्स-रे लेकर उनके सॉफ्टवेयर पर डाला जाए तो ईएसडीएस अपनी क्लाउड तकनीक के जरिए कुछ ही सेकेंड में उसकी रिपोर्ट दे सकता है। यह एक दिन में एक करोड़ से भी ज्यादा नमूनों की टेस्ट रिपोर्ट्स देने में सक्षम है। स्वैब टेस्ट की तुलना में एक्स-रे प्लेट्स पर होनेवाला खर्च भी काफी कम होने की संभावना है।

सोमानी के अनुसार इटली-स्पेन आदि में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल किया जा चुका है, लेकिन वहां अब एक्स-रे और स्वैब टेस्ट दोनों किए जा रहे हैं। दोनों में पॉजिटिव आने पर ही रोगी को पॉजिटिव माना जा रहा है। दोनों में निगेटिव आने पर ही उसे डिस्चार्ज किया जाता है। ईएसडीएस के अनुसार कोरोना से सर्वाधिक पीड़ित महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस तकनीक के इस्तेमाल में रुचि दिखाई है। नासिक के सभी अस्पतालों में इसका उपयोग शुरू किया जा चुका है। मध्य प्रदेश के देवास, केरल सहित भारत के सौ से ज्यादा डायग्नोस्टिक सेंटर्स में इसका उपयोग शुरू किया जा चुका है। विदेशों में आयरलैंड ने भी इस तकनीक की सेवाएं लेनी शुरू कर दी है।


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