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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हिंदीभाषी ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर, उद्धव सरकार लाएगी अध्यादेश

Maharashtra Politics महाराष्ट्र में भाजपा जहां ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन कर रही है वहीं महाविकास अघाड़ी भी इस बड़े वोट बैंक को हाथ से निकलने नहीं देना चाहती। इसी दृष्टि से उद्धव सरकार ओबीसी को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:59 PM (IST)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में हिंदीभाषी ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर, उद्धव सरकार लाएगी अध्यादेश
महाराष्ट्र में हिंदीभाषी ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर, उद्धव सरकार लाएगी अध्यादेश। फाइल फोटो

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के हिंदीभाषी वोट बैंक पर जहां भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है, वहीं कांग्रेस ने अब हिंदीभाषी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वोट बैंक पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं। एक अनुमान के मुताबिक हिंदीभाषियों में इस वर्ग की आबादी 70 फीसद के करीब है। महाराष्ट्र में भाजपा जहां ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन कर रही है, वहीं महाविकास अघाड़ी भी इस बड़े वोट बैंक को हाथ से निकलने नहीं देना चाहती। इसी दृष्टि से उद्धव सरकार ओबीसी को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है। बुधवार को ही उद्धव मंत्रिमंडल ने एक ऐसा अध्यादेश लाने का प्रस्ताव पास किया है, जिसके तहत सभी वर्गों को आरक्षण देते हुए भी कुल आरक्षण 50 फीसद से अधिक न होने पाए।

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ओबीसी वोट बैंक पर इनकी है नजर

महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में हिंदीभाषी ओबीसी समाज के लोग बहुतायत में रहते हैं। इनमें पाल समाज, विश्वकर्मा समाज, मौर्य-कुशवाहा, कुर्मी-पटेल, यादव, राजभर, चौरसिया, प्रजापति, तेली, नाई, स्वर्णकार एवं लोधी समाज के लोग शामिल हैं। इन्हें वर्षों से महाराष्ट्र में रहने के बावजूद यहां के ओबीसी समाज की सुविधाएं हासिल नहीं होतीं। जबकि ये सभी जातियां केंद्रीय ओबीसी सूची में भी शामिल हैं। इन जातियों को महाराष्ट्र की ओबीसी जातियों में स्थान दिलाने की मांग लंबे समय से होती आ रही है। कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्याध्यक्ष मोहम्मद आरिफ नसीम खान के नेतृत्व में इन जातियों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के ओबीसी मंत्री विजय वडेट्टीवार से मिला। मंत्री के साथ बैठक में फैसला हुआ कि इन सभी जातियों को महाराष्ट्र की ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजा जाएगा। नसीम खान कहते हैं कि ऐसा करके इन सभी वर्गों को भी महाराष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा।

इसलिए चिंतित है कांग्रेस

महाराष्ट्र, खासतौर से मुंबई एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में बड़ी आबादी हिंदीभाषियों की है। कभी यह वर्ग कांग्रेस का प्रतिबद्ध वोटबैंक हुआ करता था। लेकिन 2014 में देश में मोदी लहर आने के साथ ही न सिर्फ हिंदीभाषी समाज, बल्कि कांग्रेस के ज्यादातर हिंदीभाषी नेता भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। अगले वर्ष होने वाले मुंबई महानगरपालिका चुनाव में ये बदलाव अपना रंग दिखा सका, तो 30 वर्ष से महानगरपालिका पर काबिज शिवसेना को सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है। कांग्रेस राज्य की सत्ता में शिवसेना और राकांपा की भागीदार है, लेकिन मुंबई सहित समूचे महाराष्ट्र में अपने कमजोर होते जनाधार को लेकर वह चिंतित भी है। उसकी यह चिंता प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के बयानों में अक्सर दिखाई देती है। माना जा रहा है कि अब इसी कमजोरी को कुछ हद तक दूर करने के लिए कांग्रेस अपने एक मंत्री विजय वडेट्टीवार व कार्याध्यक्ष नसीम खान के जरिये हिंदीभाषी ओबीसी समाज को महाराष्ट्र की ओबीसी सूची में स्थान दिलवाकर उसे अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है।


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