बांबे हाई कोर्ट ने रेरा की वैधता को बरकरार रखा
पीठ ने राज्यस्तरीय रेरा प्राधिकार और अपीलीय न्यायाधिकरण को होने वाली देरी पर मामले-दर-मामले के आधार पर विचार करने की अनुमति दी है।
मुंबई, जेएनएन। बांबे हाई कोर्ट ने रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम (रेरा) की वैधता को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इसका लक्ष्य रियल एस्टेट सेक्टर का विकास है। जस्टिस नरेश पाटिल और जस्टिस राजेश केतकर की पीठ ने रियल एस्टेट डेवलपर और व्यक्तिगत प्लाट मालिकों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुनाया।
सभी ने इस वर्ष मई से लागू अधिनियम को चुनौती दी थी। पाटिल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में डेवलपरों के लिए लेवी की अनुमति दे दी है। इसके लिए पीठ ने राज्यस्तरीय रेरा प्राधिकार और अपीलीय न्यायाधिकरण को होने वाली देरी पर मामले-दर-मामले के आधार पर विचार करने की अनुमति दी है। असाधारण और विषम परिस्थितियों के कारण देरी होने पर परियोजना या डेवलपर का पंजीकरण निरस्त नहीं करने को कहा है। अदालत ने कहा है, 'अधिकारी इस बात से संतुष्ट हैं कि असाधारण और विषम
परिस्थितियों के कारण डेवलपर एक वर्ष के विस्तार में भी परियोजना पूरी नहीं कर सका है तो उनका पंजीकरण जारी रखा जा सकता है।'