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Bombay HC का बड़ा फैसला, तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा एक्ट के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार होंगी महिलाएं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि तलाक के बाद भी महिलाएं घरेलू हिंसा एक्ट के तहत गुजारा भत्ता का दावा करने की हकदार रहेंगी। पारिवारिक अदालत ने महिला का आवेदन खारिज कर दिया था जिसे बाद में सत्र अदालत ने स्वीकार कर लिया।

By Jagran NewsEdited By: Shalini KumariPublished: Mon, 06 Feb 2023 04:18 PM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 04:18 PM (IST)
Bombay HC का बड़ा फैसला, तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा एक्ट के तहत गुजारा भत्ता पाने की हकदार होंगी महिलाएं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक के बाद भी महिला गुजारा भत्ता का दावा कर सकती है।

मुम्बई, पीटीआई। बंबई हाई कोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम (डीवी अधिनियम) के प्रावधानों के तहत तलाक के बाद भी महिला भरण-पोषण की हकदार है। न्यायमूर्ति आर जी अवाचट की एकल पीठ ने 24 जनवरी के आदेश में एक सत्र अदालत द्वारा पारित मई 2021 के आदेश को बरकरार रखते हुए ये फैसला सुनाया है। दरअसल, एक पुलिस कांस्टेबल को निर्देश दिया गया था कि वह तलाक के बाद भी अपनी पत्नी को 6,000 रखरखाव के लिए दिया करेगा, जिसके लिए उसने कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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पति ने गुजारा भत्ता देने से किया था इंकार

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि घरेलू संबंध शब्द की परिभाषा दो व्यक्तियों के बीच संबंध है, जो किसी भी समय एक साथ एक ही घर में रहते थे। यह शब्द इस बात को परिभाषित करता है कि दोनों लोगों के बीच शादी का संबंध था या उसके जैसा कुछ था। कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता पति होने के नाते अपनी पत्नी के भरण-पोषण के लिए जिम्मेदार है। चूंकि पति ऐसा करने में विफल रहा था, पत्नी के पास याचिका देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था।" न्यायमूर्ति अवाचट ने आगे कहा कि वह व्यक्ति भाग्यशाली था कि जब वह पुलिस की नौकरी करने और 25,000 रुपये से अधिक तनख्वाह लेने के बाद भी उसे प्रति माह केवल 6,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

शादी के दो महीने बाद हो गए थे अलग

याचिका के अनुसार, दंपती ने मई 2013 में शादी की थी लेकिन वैवाहिक विवादों के कारण जुलाई 2013 से अलग रहने लगे। बाद में इस जोड़े का तलाक हो गया। तलाक की कार्यवाही के दौरान महिला ने डीवी एक्ट के तहत गुजारा भत्ता मांगा था। पारिवारिक अदालत ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसने सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने 2021 में उसकी याचिका स्वीकार कर ली।

फैसले को दी चुनौती

इसके बाद उस व्यक्ति ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में दावा किया कि अब वे दोनों किसी संबंध में नहीं है, इसलिए उसकी पत्नी डीवी अधिनियम के तहत किसी भी राहत की हकदार नहीं थी। साथ ही उन्होंने याचिका में दावा किया है कि शादी टूटने के पहले तक उन्होंने महिला के भरण-पोषण के सभी बकाया चुका दिए थे।

महिला ने याचिका का विरोध किया और कहा कि डीवी अधिनियम के प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि एक पत्नी जिसका तलाक हो चुका है वो रखरखाव की राशि या अन्य सहायक राहत राशि का दावा करने की हकदार है।

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