Bombay HC ने सेनेटरी नैपकिन का टेंडर रोकने से किया इनकार, कहा - लड़कियों की सुरक्षा और स्वच्छता बेहद जरूरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सरकार ने सेनेटरी नैपकिन की सप्लाई की आपूर्ति करने के लिए कुछ शर्तें रखी थी। कोर्ट ने कहा कि बच्चियों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए यह शर्त होना जरूरी है।
मुम्बई, पीटीआई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य द्वारा संचालित स्कूलों में लड़कियों के लिए सैनिटरी नैपकिन खरीदने के लिए महाराष्ट्र सरकार की कुछ शर्तों पर आपत्ति जताई गई थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि छात्रों की सुरक्षा और स्वच्छता महत्वपूर्ण है और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए इसे प्रोजेक्ट को शर्त के साथ शुरू करना आवश्यक है।
'टेंडर में कोई अवैधता नहीं है'
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने 69 वर्षीय एक व्यक्ति के स्वामित्व वाले स्टार्ट-अप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इसमें राज्य द्वारा 9,940 राज्य द्वारा संचालित स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए लगाई गई शर्तों को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा, "स्कूली लड़कियों की सुरक्षा और स्वच्छता महत्वपूर्ण हैं और इस उद्देश्य के लिए गुणवत्ता को बनाए रखना होगा। हमें टेंडर की शर्तों में कोई अवैधता नहीं दिख रही है।"
सरकार ने सप्लाई करने वालों के लिए रखी थी शर्तें
दरअसल, सरकार की ओर से जो शर्त रखी गई थी वह ये थी कि बोली लगाने वाले कंपनी के पास सैनिटरी नैपकिन सप्लाई करने का तीन साल का अनुभव और सालाना 12 करोड़ रुपये का टर्नओवर होना चाहिए। सरकारी वकील बीवी सामंत ने अदालत को बताया कि इस शर्त के जरिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश क जा रही है कि उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह प्रोजेक्ट स्कूली लड़कियों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए थी।
'बच्चियों की सुरक्षा और स्वच्छता आवश्यक'
हाई कोर्ट ने कहा, "परियोजना महाराष्ट्र राज्य के सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति से संबंधित है। स्वाभाविक रूप से, राज्य द्वारा ध्यान में रखा जाने वाला प्रमुख कारक सैनिटरी नैपकिन की गुणवत्ता है और उस उद्देश्य के लिए पिछला अनुभव अत्यंत आवश्यक है। साथ ही महाराष्ट्र के 9,940 स्कूलों के लिए बड़ी संख्या में आपूर्ति की आवश्यकता होगी है, इसलिए पिछला कारोबार और अनुभव प्रासंगिक है।"
यह भी पढ़ें: 'Hate Speech नहीं होगी, इसकी गारंटी दें', मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली निकालने को लेकर SC की अहम टिप्पणी