जन्म प्रमाणपत्र घोटाले में दो तहसीलदार सस्पेंड, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने लगाए गंभीर आरोप; जानिए पूरा मामला
मालेगांव में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने वाले एक तहसीलदार एवं एक नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है। दोनों की पहचान तहसीलदार नितिन कुमार देवरे और नायब तहसीलदार संदीप धारणकर के रूप में की गई है। मालेगांव का जन्म प्रमाण पत्र घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने अभी नए जन्म प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्याओं के विरुद्ध चल रहे अभियानों के बीच महाराष्ट्र के मालेगांव में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने वाले एक तहसीलदार एवं एक नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है।
भाजपा नेता किरीट सोमैया का दावा है कि कई और जिलों में ऐसे फर्जी प्रमाणपत्र बनाने का रैकेट चल रहा है और एक संगठित गिरोह ऐसे प्रमाणपत्र बनवाकर अवैध बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्याओं को बसाने का अभियान चला रहा है।
किरीट सोमैया ने लगाए आरोप
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने दोनों तहसीलदारों के निलंबन आदेश की प्रतियां अपने एक्स हैंडल पर साझा कीं। इन दोनों की पहचान तहसीलदार नितिन कुमार देवरे और नायब तहसीलदार संदीप धारणकर के रूप में की गई है।
मालेगांवचे काँग्रेस, उद्धव ठाकरे सेना, AIMIM आमदार, खासदार हे मला आता धमक्या देत आहेत..
"आम्ही किरीट सोमैयांना जाब देणार"
मी उद्या मालेगांवला भेट देणार
3977 बांगलादेशी रोहिंग्यानी अर्ज केला खोटे कागदपत्र दिले, यांचा विरोधात कारवाई होणार, या सर्वांना बांगलादेशला परत पाठवणार pic.twitter.com/e5zrOmlESH
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) January 30, 2025
देवरे और धारणकर दोनों को अगले आदेश तक ड्यूटी में लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया है। निलंबन पत्र में यह भी कहा गया है कि दोनों ने मामले को उस गंभीरता से नहीं लिया, जिस गंभीरता से इसे लिया जाना चाहिए था।
नए जन्म प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक
किरीट सोमैया के अनुसार पिछले करीब एक वर्ष में एक वर्ष से अधिक समय के बाद वाले जन्म प्रमाणपत्र बनाने के 2,14,000 आवेदन महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में प्राप्त हुए हैं। इनमें से 1,23,000 प्रमाणपत्र बनाकर दिए जा चुके हैं, और 79,000 की मंजूरी दी जा चुकी है।
मालेगांव का जन्म प्रमाण पत्र घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने अभी नए जन्म प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने अब तक जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्रों की जांच के लिए एक एसआईटी का भी गठन कर दिया है।
एसआईटी करेगी मामले की जांच
- महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी पुष्टि की है कि एसआईटी पहले जारी किए गए प्रमाणपत्रों और लंबित आवेदनों की जांच करेगी। बावनकुले ने कहा है कि किरीट सोमैया द्वारा जन्म प्रमाणपत्र घोटाले के आरोपों के बाद यह जांच शुरू की गई है।
- उनके अनुसार अकेले अकोला शहर में, जनवरी 2021 और दिसंबर 2023 के बीच, मजिस्ट्रेट अदालतों ने 269 विलंबित जन्म पंजीकरण आदेश जारी किए, जबकि तहसीलदार ने 4,849 को मंजूरी दी। यवतमाल में विलंबित जन्म प्रमाणपत्र के लिए 11,864 आवेदन, अकोला में 15,845 और नागपुर में 4,350 आवेदन प्राप्त हुई हैं।
- किरीट सोमैया दावा है कि लोकसभा चुनाव के बाद से विशेषकर मराठवाड़ा एवं विदर्भ के कुछ क्षेत्रों में ऐसे विलंबित जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के संगठित प्रयास चल रहे हैं। इनमें एक विशेष संप्रदाय के आवेदनों की बहुलता देखी जा रही है।
2023 में बदले थे नियम
किरीट सोमैया का कहना है कि 1969 में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार भारत में कहीं भी किसी का जन्म या मृत्यु होने पर स्थानीय ग्राम पंचायत या शहरों में नगरपालिका में उसे पंजीकरण कराने का प्रावधान किया गया था। यह पंजीकरण एक माह के अंदर करवाना पड़ता है।
एक माह में न हो पाने पर वैध कारण प्रस्तुत कर एक साल तक पंजीकरण हो सकता है। एक साल की अवधि बीत जाने पर पंजीकरण के लिए मैजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन करना पड़ता था। लेकिन नवंबर 2023 में विलंबित जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन के नियमों में बदलाव हुआ। नए नियमों के तहत अब जिलाधिकारी या दंडाधिकारी के कार्यालय में ही आवेदन किया जा सकता है।

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