Maharashtra: शिवसेनानीत सरकार पर दबाव बनाने का यह मौका चूकना नहीं चाहती भाजपा
Maharashtra मुंबई में अंटीलिया कांड व मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के बाद जो परिस्थितियां बन रही हैं उनमें महाराष्ट्र का विपक्षी दल भाजपा शिवसेनानीत सरकार पर दबाव बनाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहता। भाजपा इस दिनों उद्धव सरकार पर जमकर निशाना साध रही है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra: अंटीलिया कांड व मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के बाद जो परिस्थितियां बन रही हैं, उनमें महाराष्ट्र का विपक्षी दल भाजपा शिवसेनानीत सरकार पर दबाव बनाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहता। यदि एनआइए की पूछताछ में गिरफ्तार सचिन वझे के मुंह से कुछ महत्वपूर्ण नाम निकले तो भाजपा का यह काम और आसान हो जाएगा। पिछला विधानसभा चुनाव शिवसेना और भाजपा साथ मिलकर लड़े थे। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना ने विपक्षी दलों कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बना ली, और सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा सत्ता से दूर रह गई। यह कसम भाजपा के मन में तभी से पल रही है। वह लगातार कहती रही है कि यह खिचड़ी सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। लेकिन अब तक ऐसा कोई अवसर भी नहीं आ सका था, जिसके कारण सरकार संकट में पड़ती दिखाई पड़ती।
संयोग ऐसा रहा कि राज्य में शिवसेनानीत सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही कोविड-19 की शुरुआत हो गई। इसका प्रभाव अभी भी जारी है। ऐसे संकटकाल में भाजपा ने भी सरकार पर ज्यादा दबाव बनाना उचित नहीं समझा। कोविड काल के दौरान ही पालघर में दो साधुओं की बर्बर हत्या का मामला सामने आया। उसी दौरान बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत का मामला भी सामने आया। लेकिन इन घटनाओं का सीधा संबंध सरकार की नाकामी से जोड़ना संभव नहीं था। इसलिए ये अवसर भी भाजपा के हाथ से जाते रहे।
अब अंटीलिया कांड ने बैठे-बैठाए भाजपा को वह अवसर उपलब्ध करा दिया है, जिसकी उसे तलाश थी। भाजपा जब-जब शिवसेना से अलग चुनाव लड़ी है, वह उसे ‘हफ्तावसूली करने वाली पार्टी’ के तौर पर ही प्रचारित करती रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव व पिछले मुंबई महानगरपालिका के चुनाव के दौरान भाजपा इसी रूप में शिवसेना को प्रचारित करती रही है।
संयोग से उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट मिली विस्फोटक लदी स्कार्पियो कार मिलने के बाद भाजपा को अब अपना यह पुराना आरोप सिद्ध करने का मौका भी मिल गया है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए मुंबई पुलिस के सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे पर 2017 में हफ्तावसूली का ही एक आपराधिक मामला दर्ज हो चुका है। यह केस अभी भी उस पर चल रहा है। भाजपा के नेता अब वझे पर लगे इसी आरोप को इशारों-इशारों में पूरी शिवसेनानीत सरकार पर चस्पा करने में जुट गए हैं। वझे के संदेह के घेरे में आने के बाद लगातार उसका बचाव करके स्वयं शिवसेना ने यह मौका भाजपा को उपलब्ध करवा दिया है।
इस घटनाक्रम ने न सिर्फ शिवसेना, बल्कि पूरी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। यह बात अब सरकार में शामिल राकांपा और कांग्रेस के नेता भी मानने लगे हैं। विधानसभा में शिवसेना के सुर में सुर मिलाकर भाजपा को जवाब देते रहे राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख भी अब मानने लगे हैं कि सचिन वझे की जांच में कुछ गलतियां हुईं। इसीलिए पुलिस आयुक्त परमबीर को हटाना पड़ा। लेकिन सत्तापक्ष की ये स्वीकारोक्तियां अब उसे राहत देने के बजाय और मुश्किल में ही डालेंगी। नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस सहित प्रदेश भाजपा की दूसरी पंक्ति के नेता भी सरकार, विशेषकर शिवसेना पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। चूंकि पिछले चुनाव के बाद से ही शिवसेना के नेता भाजपा के अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं पर झूठ बोलने का आरोप लगाकर दिल्ली से अपने रिश्ते पहले ही खराब कर चुके हैं। दूसरी ओर, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार स्पष्ट कर चुके हैं वह किसी अधिकारी द्वारा उठाए गए गलत कदम की जांच करने वाली राष्ट्रीय एजेंसी को सहयोग करेंगे। ऐसे में भाजपा अपना दबाव और बढ़ाए, शिवसेना की मुश्किल और बढ़ती जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।