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Bhima Koregaon Violence: शरद पवार को पेश होना पड़ सकता है भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने

Sharad Pawar. शरद पवार कई बार कह चुके हैं कि एक जनवरी 2018 को भड़की भीमा-कोरेगांव की जातीय हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित तत्वों का हाथ था। इ

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 07:29 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 07:29 PM (IST)
Bhima Koregaon Violence: शरद पवार को पेश होना पड़ सकता है भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने
Bhima Koregaon Violence: शरद पवार को पेश होना पड़ सकता है भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Sharad Pawar. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार को भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच कर रहे दो सदस्यीय पैनल के सामने पेश होना पड़ सकता है। आयोग जल्द ही शरद पवार को अपने सामने पेश होने का सम्मन भेज सकता है। आयोग पहले ही स्पषट कर चुका है कि जरूरत पड़ी तो वह पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को भी पूछताछ के लिए बुलाएगा।

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शरद पवार कई बार कह चुके हैं कि एक जनवरी, 2018 को भड़की भीमा-कोरेगांव की जातीय हिंसा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित तत्वों का हाथ था। इस संबंध में वह आठ अक्टूबर, 2018 को एक शपथपत्र भी जांच आयोग के सामने दाखिल कर चुके हैं। इस शपथपत्र में उन्होंने किसी व्यक्ति का सीधा नाम नहीं लिया था, लेकिन हाल ही में 18 फरवरी को शरद पवार ने एक संवाददाता सम्मेलन में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे एवं शंभाजी भिड़े का नाम लेते हुए कहा कि इन दोनों ने ऐसा वातावरण बनाया, जिसके कारण एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की।

पवार ने इसी संवाददाता सम्मेलन में पुणे के पुलिस आयुक्त की भूमिका को संदेहास्पद बताते हुए इसकी जांच पर बल दिया था। बता दें कि शरद पवार के तर्कों के विपरीत पुणे पुलिस इस हिंसा के लिए 31 दिसंबर, 2017 की शाम पुणे स्थित शनिवार वाड़ा के बाहर आयोजित यलगार परिषद के भड़काऊ भाषणों को जिम्मेदार मान रही है। पुलिस का कहना है कि इस परिषद का आयोजन महाराष्ट्र में जातीय हिंसा भड़काने के लिए माओवादियों के सहयोग से किया गया था।

पवार द्वारा लगाए गए इन आरोपों के बाद एक सामाजिक संगठन विवेक विचार मंच के कार्यकर्ता सागर शिंदे ने जांच आयोग के सामने एक आवेदन देकर पवार से पूछताछ करने की अपील की है। उनका कहना है कि पवार के पास ऐसी और भी कई जानकारियां हैं, जिनका जिक्र उन्होंने शायद अपने शपथपत्र में नहीं किया है। इसलिए उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाना चाहिए।

जांच आयोग के वकील आशीष सातपुते के अनुसार आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जेएन पटेल ने संकेत दिए हैं कि जांच प्रक्रिया के अंतिम चरण में शरद पवार को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। जांच आयोग एक और सदस्य महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मल्लिक हैं। हाल ही में उद्धव सरकार ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाते हुए इसे आठ अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। आयोग का गठन पूर्व की फड़णवीस सरकार ने किया था। 

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