महाराष्ट्र के कई शहरों में भड़की जातीय हिंसा, न्यायिक जांच के आदेश
पुणे की जातीय हिंसा पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है।
मुंबई, एजेंसी। पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में नववर्ष के पहले दिन मनाए गए शौर्य दिवस पर भड़की हिंसा मंगलवार को मुंबई, घाटकोपर, अहमदनगर, फुरसुंगी, हड़पसर समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों में फैल गई। मुंबई के चेंबूर व मुलुंड आदि क्षेत्रों उपद्रव के बाद लोकल ट्रेन सेवा रोकी गई। मुंबई-पुणे को जोड़ने वाले ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे का ट्रैफिक रोक दिया गया। कई वाहनों व दुकानों में तोड़फोड़ की गई। उधर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने हिंसा की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यह बड़ी साजिश का नतीजा लगता है।
दुकान-संस्थान बंद कराए
मंगलवार को महाराष्ट्र के कई हिस्सों में विरोध व उग्र विरोध शुरू हो गया। विभिन्न हिस्सों में 25 से ज्यादा वाहन फोड़ दिए गए। चेंबूर में ट्रेनें रोकी गईं। जबकि चेंबूर, विक्रोली, मानखुर्द व गोवंडी के युवाओं ने दुकानें व व्यावसायिक संस्थान बंद कराए।
हिंसा की शुरुआत सोमवार को कोरेगांव-भीमा गांव में शौर्य दिवस मनाने के बाद से हुई थी। इसी दिन महाराष्ट्र के महार समुदाय का अन्य समुदाय के लोगों से टकराव हो गया था। हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी।
बदनाम करने की साजिश: फड़नवीस
पुणे की जातीय हिंसा पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है। सरकार ने इसकी न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा भी की। उन्होंने युवक की मौत की सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं। सीएम ने लोगों से शांति बनाए रखने और जातीय हिंसा में शामिल न होने की अपील की। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि भीमा-कोरेगांव में तीन लाख लोग एकत्र हुए थे। कुछ लोगों ने गंभीर संकट पैदा करने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों की छह कंपनियों ने हालात काबू में किए और बड़ी समस्या पैदा होने से रोक दी।
प्रशासन की विफलता : पवार
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि घटना के पीछे कौन लोग हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। शौर्य दिवस के 200 साल पूरे होने पर अधिक लोगों के इकट्ठा होने की संभावना पहले से थी इसलिए प्रशासन को इस पर नजर रखना थी।
घटना की पृष्ठभूमिः 200 साल पहले अंग्रेजों ने हराया था पेशवाओं को
दरअसल, वषर्ष 1818 में पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव युद्ध में अंग्रेजों (ईस्ट इंडिया कंपनी) ने पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय की सेना को हराया था। अंग्रेजों की सेना का साथ महाराष्ट्र में तब अस्पृश्य समझे जाने वाली महार जाति ने दिया था। तब से महार जाति हर साल इसकी वर्षगांठ शौर्य दिवस के रूप में मनाती है।
इस बार कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका विरोध किया। इससे खफा होकर महार जाति व अन्य जाति के लोग आमने-सामने आ गए। इस बार रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्घ के 200 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था।
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