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Maharashtra Crisis: फ्लोर टेस्‍ट से पहले ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से दिया इस्तीफा, समर्थन के लिए सोनिया गांधी और शरद पवार का जताया आभार

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। फेसबुक लाइव के दौरान उन्होंने सभी का आभार जताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बुधवार देर रात उद्धव ठाकरे मातोश्री से राजभवन पहुंचकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को इस्तीफा सौैंपा।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 09:36 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 06:21 AM (IST)
Maharashtra Crisis: फ्लोर टेस्‍ट से पहले ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से दिया इस्तीफा, समर्थन के लिए सोनिया गांधी और शरद पवार का जताया आभार
सीएम उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा

मुंबई, एजेंसियां: शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक पर विराम लगाते हुए राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। ठाकरे ने देर शाम फेसबुक लाइव करने की घोषणा की थी, जिसके बाद से अनुमान लगाए जा रहे थे कि वो सीएम पद से इस्तीफा दे सकते हैं। उद्धव फेसबुक लाइव के दौरान ही सभी का आभार जताते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ने की घोषणा की है। फेसबुक लाइव पर इस्तीफे का एलान करने के तुरंत बाद वह राजभवन के लिए रवाना हो गए।

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उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा

उद्धव ठाकरे ने बुधवार देर रात मुबंई में राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपने मंत्रीमंडल का इस्तीफा सौंप दिया। उनके साथ उनके बेटे और केबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे, एनसीपी कोटे से कैबिनेट मंत्री अनिल परब समेत कई वरिष्ठ मंत्री भी राजभवन पहुंचे थे। 

अंतरिम मुख्यमंत्री के तौर पर काम करेंगे उद्धव

राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उद्धव ठाकरे को वैकल्पिक व्यवस्था होने तक मुख्यमंत्री (अंतरिम मुख्यमंत्री) के रूप में कार्य करने के लिए कहा गया है। 

भगवान के दर पहुंचे ठाकरे

राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद उद्धव ठाकरे अपने बेटे के साथ मंदिर जाकर भगवान के दर्शन किए।


शरद पवार और सोनिया गांधी का जताया आभार

फेसबुक लाइव के दौरान ठाकरे ने उन्होंने एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का आभार जताया है। वहीं, राज्य सरकार द्वारा किए गए कल्याणकारी कामों के बारे में भी होने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब संभाजीनगर का कैबिनेट में प्रस्ताव किया तब कांग्रेस और एनसीपी ने सपोर्ट किया और हमारे लोग नदारद रहे। जिनके लिए सब कुछ किया वह नाराज है, जबकि कई गरीब मातोश्री पर आकर लड़ने के लिए कह रहे है।

बाला साहेब के बेटे को दिखाया नीचा

उद्धव ठाकरे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मान्य है। कल बहुमत परीक्षण होगा, ऐसे में जो लोग धोखा देंगे ऐसा कहा गया वो आज भी साथ हैं। जबकि मेरे अपने नाराज होकर दूर चले गए, जो भी नाराजगी है वह मेरे सामने आकर बोलिए। लाइव के दौरान उद्धव ठाकरे ने शिव सैनिकों से आवाहन किया कि वो बागियों को मुंबई सकुशल आने दें। भागी एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उद्धव ने कहा कि जिन्हें शिवसेना और बाला साहेब ने बड़ा किया, उनके बेटे को ही इन लोगों ने नीचा दिखाया है। उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री पद छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। इस दौरान उन्होंने सभी से उनका साथ देने की भी अपील की, कहा कि मुझे सभी का साथ चाहिए मुझे सभी का आशीर्वाद चाहिए।

मुस्लिम समुदाय का उद्धव ने जताया आभार

लाइव के दौरान उद्धव ने मुस्लिम समाज के लोगों का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर मुंबई में कोई हिंसक स्थिति नहीं पैदा हुई। इसके लिए मैं मुस्लिम समाज के लोगों का आभार जताता हूं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ने की भी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वो अब फिर से शिवसेना भवन में बैठना शुरू करेंगे। उन्होंने सभी सरकारी कर्मचारियों का भी आभार जताया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ राज्य बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल और पार्टी के अन्य नेता मुंबई के ताज प्रेसिडेंट होटल में एक विधायक बैठक के लिए पहुंचे। एक दूसरे मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया।

इस्तीफा न देते तो फ्लोर टेस्ट का करना होता सामना

आपको बता दें, फेसबुक लाइव के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे राजभवन के लिए रवाना हो गए। इससे पहले, 50 विधायकों के समर्थन वापसी के बाद अल्पमत में आई उद्धव सरकार से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने गुरुवार को सुबह 11 बजे विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था। इस फैसले के खिलाफ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बुधवार रात नौ बजे के बाद सुनाए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के निर्णय पर मुहर लगा दी थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला बुधवार रात नौ बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।


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