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महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी

पर्यटन के क्षेत्र में सिनेमा के योगदान और फिल्मों की शूटिंग को लेकर मौजूदा स्थिति को लेकर हुए सत्र को शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी ने संबोधित किया

By BabitaEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 04:16 PM (IST)
महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी
महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी

मुंबई, अनुज अलंकार। मनोरंजन और मीडिया की दुनिया को लेकर हर साल होने वाले फिक्की फ्रेम के 19वें सालाना समारोह में पहले दिन अलग-अलग विषयों पर कई सत्रों का आयोजन हुआ। इसमें महिला सशक्तीकरण का सत्र भी शामिल था। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने रविवार शाम इस समारोह का उद्घाटन किया था।

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महिला सशक्तीकरण सत्र में अभिनेत्री शबाना आजमी और जागरण मीडिया ग्रुप की प्रेसीडेंट अपूर्वा पुरोहित सहित कई हस्तियों ने भाग लिया। शबाना आजमी ने कहा, महिलाएं बहुत क्षेत्रों में अच्छा काम कर रही हैं। बावजूद इसके आज भी भ्रूण हत्या जैसे मामले सामने आते हैं। उन्हें नौकरी पर जाने से रोका जाता है। उनके साथ हिंसा होती है। उन्होंने कहा, महिला सशक्तीकरण का अभियान तब तक कारगर नहीं होगा, जब तक यह सरकारी कागजों से निकलकर उन तक नहीं पहुंचेगा, जो संघर्ष करते हुए अपनी पूरी जिंदगी खपा देती हैं। अभी महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया जाना है। अपूर्वा पुरोहित ने कहा, महिलाएं किसी से भी कम या ज्यादा नहीं हैं। असली मुद्दा उनकी हिम्मत का है। क्या वे अपने अधिकारों के लिए लडऩे की हिम्मत कर सकती हैं? जिस महिला ने इस हिम्मत को पहचान लिया, उसे आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता।

भाजपा नेता वाणी त्रिपाठी ने कहा, कोई यह दावा नहीं कर सकता कि महिलाओं से जुड़ी हर समस्या खत्म हो गई है। हालांकि मोदी सरकार ने महिलाओं से जुड़े हर मुद्दे को गंभीरता से लिया है। मौजूदा सरकार में महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है। पत्रकार तवलीन सिंह ने कहा, महिलाएं इस दौर में अच्छा काम कर रही हैं। हमें अपनी सोच को सकारात्मक रखने की जरूरत है, ताकिउनका हौसला बना रहे।

पर्यटन के क्षेत्र में सिनेमा के योगदान और फिल्मों की शूटिंग को लेकर मौजूदा स्थिति को लेकर हुए सत्र को शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी ने संबोधित किया। उन्होंने कहा, हिंदी सिनेमा में हमेशा नई लोकेशन खंगालने का काम होता है। हर नई लोकेशन आगे जाकर टूरिस्ट स्पाट बन जाती है। लोकेशन व शूटिंग में फिल्मकारों को सरकार और स्थानीय प्रशासन की मदद की जरूरत होती है। मौजूदा समय में इस मामले में पूरा सहयोग नहीं मिलता है। उन्होंने इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम की पैरवी की। बाक्स ऑफिस कलेक्शन को लेकर हुई चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि बड़े शहरों में मल्टीप्लेक्स के महंगे टिकट आम दर्शकों को दूर कर रहे हैं। वक्ताओं ने इसे गंभीर चुनौती माना और इस पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। 


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