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50 हजार किसानों का लॉन्ग मार्च सफल, सरकार ने मांगें मानी

मुख्यमंत्री फडऩवीस ने मुख्य सचिव को इन मांगों पर व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देने को कहा है।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 11:01 AM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 11:01 AM (IST)
50 हजार किसानों का लॉन्ग मार्च सफल, सरकार ने मांगें मानी
50 हजार किसानों का लॉन्ग मार्च सफल, सरकार ने मांगें मानी

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। नासिक से 180 किलोमीटर का पैदल मार्च करते मुंबई पहुंचे करीब 50,000 किसानों का आंदोलन सोमवार को सरकार से वार्ता के बाद समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस द्वारा बनाई गई छह सदस्यीय समिति के साथ सीपीआइ (एम) के किसान संगठन ऑल इंडिया किसान संघ (एआइकेएस) के

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प्रतिनिधियों की बातचीत हुई। इसमें किसानों की ज्यादातर मांगें न सिर्फ मान ली गईं, बल्कि उन्हें मानने का लिखित आश्वासन भी दिया गया।

मुख्यमंत्री फडऩवीस ने मुख्य सचिव को इन मांगों पर व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देने को कहा है। किसानों की मुख्य मांगों में संपूर्ण कर्ज माफी के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और प्राकृतिक आपदा की स्थिति में प्रति एकड़ 40,000 रुपये तक मुआवजा देने की बात थी। लॉन्ग मार्च का नेतृत्व कर रहे किसान नेता हरीश नवले ने कहा है कि सरकार यदि अपने वायदे से पीछे हटेगी, तो किसान आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे। बता दें कि किसान विधानमंडल के चालू सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने मुंबई पहुंचे थे।

किसानों के स्वागत में जहां मुंबईवासियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं किसानों ने भी अपने लॉन्ग मार्च के दौरान मुंबईवासियों को कोई असुविधा नहीं होने दी। यहां तक कि 50,000 किसानों की मौजूदगी के बावजूद पुलिस को दक्षिण मुंबई का यातायात भी इधर-उधर करने की जरूरत महसूस नहीं हुई।

परीक्षा देने वाले छात्रों का रखा ध्यान

किसानों का पैदल लॉन्ग मार्च नासिक से रविवार शाम ही अपने अंतिम पड़ाव यानी मुंबई के सोमैया मैदान पहुंच गया था। सोमैया मैदान में रात को विश्राम कर सोमवार की सुबह उन्हें दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान पहुंचना था, जहां एक सभा के बाद उन्हें विधानसभा का घेराव करने के लिए निकलना था। लेकिन किसानों ने मुंबई जैसे महानगर की समस्या को समझा। उन्हें पता चला कि शहर में बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं, तो उन्होंने सायन से आजाद मैदान का पैदल सफर सुबह शुरू करने के बजाय रात को ही करने का निर्णय किया। रात्रि भोजन के बाद वे अर्द्धरात्रि डेढ़ बजे ही आजाद मैदान के लिए रवाना हो गए और शहर में भीड़भाड़ का दौर शुरू होने के पहले ही सुबह आठ बजे तक आजाद मैदान पहुंच गए। यहां तक कि उन्होंने बस से आजाद मैदान पहुंचाए जाने का प्रस्ताव भी विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया। जबकि छह दिन की यात्रा से कई किसानों के पांवों में छाले तक पड़ गए थे और इस मार्च में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।

बाकी भी नहीं रहे पीछे 

इसके अलावा महानगर के कुछ लोगों ने किसानों के लिए पानी और खानपान का इंतजाम किया। शरीर में पानी की कमी के कारण कुछ किसानों को डायरिया हो गया था। इलाज के लिए आजाद मैदान में डिस्पेंसरी का इंतजाम भी किया गया था। 

अन्नदाता को डब्बावालों ने कराया भोजन

किसानों की इस पहल ने जहां महानगरवासियों को ट्रैफिक की तकलीफों से बचाया, वहीं महानगरवासी भी उनके लिए सहृदयता दिखाने में पीछे नहीं रहे। मुंबई के मशहूर डब्बेवालों ने उनके लिए भोजन का प्रबंध किया। मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के प्रवक्ता सुभाष तलेकर का कहना था कि किसान हमारे अन्नदाता हैं। इसलिए हमारा भी फर्ज बनता है कि जब वह आंदोलन करते हुए इतनी दूर से आए हैं, तो हम उनके लिए भोजन का प्रबंध करें। इसलिए हमने दादर से कुलाबा के बीच डिब्बे उठानेवाले साथियों से भोजन इक_ा कर आजाद मैदान में किसानों को पहुंचाने की पहल की। डिब्बेवालों ने यह कार्य अपनी रोटी बैंक योजना के तहत किया। 


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