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अग्निपथ पर दिखी बेटियों के भीतर की ज्वाला, चार वर्ष बाद करेंगी परिवार की आर्थिक मदद

Women Empowerment News लेफ्टिनेंट जनरल एमके दास का कहना है कि बेटियां रैली-स्तर तक पहुंचने के लिए केवल अपनी पढ़ाई को आधार नहीं बना रहीं बल्कि शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए महीनों पहले से मैदान पर पसीना भी बहा रहीं हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalPublished: Sat, 26 Nov 2022 06:45 PM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2022 06:45 PM (IST)
अग्निपथ पर दिखी बेटियों के भीतर की ज्वाला, चार वर्ष बाद करेंगी परिवार की आर्थिक मदद
Women Empowerment News: लंबी कूद लगाती अभ्यर्थी। फोटो : नईदुनिया

जबलपुर, कमलेश मिश्रा। सेना में भर्ती होकर देश सेवा की ललक हाल ही में मप्र के जबलपुर में देखने मिली। इस बार बेटियों की बारी थी, जो अग्निवीर बनने के लिए सेना के ग्राउंड में अपना दमखम दिखाने पहुंचीं। उम्मीदवारों की प्रतिभा का अंदाज इस बात से किया सकता है कि अग्निवीर बनने के लिए मप्र और छत्तीसगढ़ की 1601 बेटियों को बुलावा-पत्र भेजे गए। ये युवतियां 32834 में से चुनीं गईं। चयन का आधार मैट्रिक परीक्षा के अंक रहे। कटआफ 85 प्रतिशत से ऊपर रहा। फिजिकल और मेडिकल टेस्ट के बाद जनवरी में चयनित उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा होगी। दो चरण की परीक्षा जनरल आफिसर कमांडिंग मुख्यालय मध्य भारत एरिया और कर्नल ऑफ द रेजिमेंट जम्मू एंड कश्मीर लाइट इन्फेंट्री लेफ्टिनेंट जनरल एमकेदास की निगरानी में हुई। देशसेवा के सपने के साथ इन बेटियों के मन में परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग देने की चाहत उस सोच पर करारा तमाचा है जिन्हें बेटे ज्यादा प्यारे हैं।

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चार वर्ष बाद करेंगी परिवार की आर्थिक मदद

मध् प्रदेश के सिवनी जिले के घंसौर से आईं रश्मि मिश्रा के जैसा विचार रैली में मिलीं कई बेटियों का रहा। ज्यादातर का मत था कि इस वक्त वो अपने माता-पिता पर आश्रित हैं लेकिन चार साल सेना को देने के बाद वो अपने परिवार के लिए सहारा बनेंगी। सैन्य-सेवा में रहते हुए ही पढ़ाई और फिर सेवानिवृत्ति के बाद उनके पास उनकी मेहनत के इतने पैसे होंगे कि वो अपनी भविष्य की राह आसानी से तय कर लेंगी। कर्नल विकास शर्मा का कहना है कि इस भर्ती रैली के माध्यम से चयनित महिला अग्निवीरों की भर्ती सेना-पुलिस के लिए होगी। इनके लिए भर्ती नियम, मानदेय और अन्य सेवा शर्तें पुरूष अग्निवीरों की तरह ही हैं। उनकी भी छह महीने की ट्रेनिंग और उसके बाद साढ़े तीन साल का सेवाकाल होगा।

ऊंची कूद लगाती अभ्यर्थी। फोटो : नईदुनिया

छलक रहा था उत्साह

महिला अग्निवीर रैली में पहुंचीं युवतियों का कहना रहा कि भारतीय-सेना एक ऐसा क्षेत्र रहा, जहां युवतियों के लिए अवसर कम रहे। बदले दौर में यहां भी महिलाएं आगे आ रही हैं। मऊ की कीर्ति मेवाड़ा कहती हैं कि बेटियां आज उस क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं, जो केवल पुरुषों के लिए उपयुक्त माना जाता रहा। छत्तीसगढ़ के जशपुर से आई प्रीति लकड़ा कहती हैं कि रूढ़िवादी और पुरुष प्रधान सोच ने सदियों तक बेटियों-महिलाओं को चहारदीवारी के अंदर कैद करा रखा लेकिन ऐसी धारणा ध्वस्त हो रही है। सोहागपुर से आईं निमी सराठे कहती हैं कि उनके मन में बचपन से ही सेना और पुलिस की वर्दी के प्रति रुझान रहा। इसी का परिणाम रहा कि वे सेना में भर्ती होने आ गईं। अनेक युवतियां ऐसी हैं, जिनके घर वाले नहीं चाहते कि वो सेना में जाएं लेकिन वे भर्ती-रैली में भाग लेने के लिए पहुंच गईं।

दृष्टि प्रतिभावान बहादुर बेटियों पर

लेफ्टिनेंट जनरल एमके दास का कहना है कि बेटियां रैली-स्तर तक पहुंचने के लिए केवल अपनी पढ़ाई को आधार नहीं बना रहीं, बल्कि शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए महीनों पहले से मैदान पर पसीना भी बहा रहीं हैं। इनकी संख् ा देखकर तो हमारे सारे अधिकारी भी आश्चर्यचकित हैं। इनका उत्साह देखकर हम सब भी उत्साहित हो गए।


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