आईआईटी और आईआईएम के साथ इंदौर बना एजुकेशन हब
शहर में 140 साल पहले अर्थात 1878 में किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी। वर्तमान में यह एमजीएम मेडिकल कॉलेज के नाम से पहचाना जाता है।
इंदौर देश का एकमात्र ऐसा शहर है जहां आईआईटी और आईआईएम जैसे दो प्रतिष्ठित संस्थान हैं। बेहतर स्कूल, कॉलेज और कोचिंग क्लासेस होने से प्रदेश के अन्य शहरों के छात्र यहां पढ़ने आते हैं। पहले कई छात्र आईआईटी की कोचिंग के लिए कोटा का रुख करते थे। इसी खूबी ने इंदौर को एजुकेशन हब का दर्जा दिलवाया है। प्रतिष्ठित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को नेक ने ए ग्रेड का दर्जा दिया है। यहां पिछले वर्षों में सात प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी आई हैं।
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एजुकेशन स्तर की मौजूदा स्थिति
इंदौर मध्य प्रदेश ही नहीं मध्य भारत के सबसे बड़े एजुकेशन सेंटर के रूप में देश के नक्शे पर अपनी पहचान बना रहा है। यहां कई शैक्षणिक संस्थान हैं, जो शहर को खास दर्जा देते हैं। इनमें एक अहम शैक्षणिक संस्थान डेली कॉलेज है। वर्ष 1882 में स्थापित यह स्कूल 118 एकड़ क्षेत्र में फैला है और देश ही नहीं, दुनिया के सबसे पुराने को-एजुकेशनल बोर्डिंग स्कूलों में एक है।
140 साल पुराना मेडिकल कॉलेज
शहर में 140 साल पहले अर्थात 1878 में किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी। वर्तमान में यह एमजीएम मेडिकल कॉलेज के नाम से पहचाना जाता है। अभी तक मेडिकल कॉलेज में प्रति वर्ष 150 छात्रों को एडमिशन दिया जाता था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब इसकी सीटें बढ़ाकर 250 कर दी हैं।
श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस
श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीएसआईटीएस) शहर ही नहीं प्रदेश का प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज है। इसकी स्थापना 1952 में हुई थी। यह आईआईटी व एनआईटी जैसे देश के टॉप 30 शैक्षणिक संस्थानों में शामिल है।
शहर के प्राइवेट स्कूल बेहतर एजुकेशन के लिए पहचाने जाते हैं। सरकारी स्कूल भी पढ़ाई में दूसरे जिलों के मुकाबले बेहतर हैं। शासन द्वारा मेधावी छात्रों को लैपटॉप देने की योजना में प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले इंदौर जिले के सबसे ज्यादा छात्र आए हैं। पहले चरण में 1370 मेधावी छात्रों को चुना गया था तो दूसरे चरण में करीब 4500 छात्रों को इस योजना का लाभ देने के लिए चुना गया है।
यह संख्या भोपाल व अन्य दूसरे जिलों के छात्रों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इससे स्पष्ट है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर व पर्याप्त शिक्षक न होने के बाद भी छात्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले वर्ष सरकारी हाई स्कूल का रिजल्ट 67 फीसदी था जो इस वर्ष सुधरकर 75 फीसदी रहा।
शैक्षणिक संस्थान- एक नजर
- शहर में 170 स्कूल और करीब 306 कॉलेज हैं।
- 1964 में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी।
- 2.5 लाख छात्र विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ते हैं।
- एमएचआरडी द्वारा हाल ही जारी शैक्षणिक संस्थानों की सूची में आईआईएम इंदौर 10वें स्थान पर और आईआईटी इंदौर 24वें स्थान पर आया है।
- 60 करोड़ रुपए की लागत से बेटमा के पास शुरू होने वाला है श्रमोदय स्कूल।
शैक्षणिक संस्थानों में रोजगारमूलक कोर्स पढ़ाने की जरूरत शहर के शैक्षणिक संस्थानों में अभी परंपरागत कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। अब सिलेबस में बदलाव कर उनमें रोजगारोन्मुखी कोर्सेस पढ़ाए जाना चाहिए। अभी विद्यार्थी कॉलेजों की डिग्री के बाद नौकरी के लिए भटकते हैं, लेकिन रोजगारमूलक कोर्स पढ़ने के बाद उन्हें न सिर्फ नौकरियां मिलेंगी बल्कि वे खुद का व्यवसाय भी शुरू कर सकेंगे।
- रमेश मंगल, वरिष्ठ शिक्षाविद्
शहर एजुकेशन हब पर बोले शिक्षाविद्
यहां सभी तरह के कोर्सेस संस्थान करा रहे हैं। शहर पहले से एजुकेश्ान हब रहा है, लेकिन अब प्राइवेट यूनिवर्सिटी आने और कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने से देशभर में शहर का नाम और बेहतर हो रहा है।
- डॉ. पीके चांदे, पूर्व प्रोफेसर, आईआईएम इंदौर
शहर में आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों के साथ बेहतर इंजीनियरिंग संस्थान हैं। यहां परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए भी हर साल हजारों छात्र आ रहे हैं। इसी रफ्तार से अगर चलता रहा तो देश में शहर का नाम शिक्षा के मामले में भी बेहतर होगा।
- डॉ. राकेश कुमार सक्सेना, डायरेक्टर, एसजीएसआईटीएस
शहर में लाखों छात्र हैं। शिक्षण संस्थानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। गुणवत्ता को लेकर अगर थोड़ा और काम कर लिया जाए तो नेशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में आईआईटी और आईआईएम के साथ हमारे संस्थान भी पहचान बना सकते हैं।
- डॉ. भरत छापरवाल, पूर्व कुलपति, डीएवीवी
शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए करना होंगे ये काम
- स्कूलों व कॉलेजों के बीच आपस में नॉलेज शेयरिंग ब्रिज बनाया जाए। एक कॉलेज के शिक्षक अपना नॉलेज दूसरे शिक्षकों के साथ शेयर करें ताकि छात्रों को बेहतर एजुकेशन दिया जा सके।
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाएं और स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारा जाए।
- पीथमपुर, सांवेर क्षेत्र की इंडस्ट्री को अभी कुशल कारीगर नहीं मिल पाते हैं। ऐसे शैक्षणिक संस्थान शुरू हों जो उद्योगों के लिए कुशल कारीगर तैयार कर सकें।
- साल दर साल नए स्कूल व कॉलेज खोलने के बजाए मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जाए।
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