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इंदौर को आर्थिक राजधानी तब्‍दील करने का सपना देखा था इन्‍होंने, दिलचस्‍प है कहानी

इनके कार्यकाल में एकेवीएन के जरिये औद्योगिक निवेश से सीधे तौर पर 30 हजार नौकरियां और रोजगार सृजित होने के आंकड़े सरकार भी मान चुकी है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 10:37 AM (IST)
इंदौर को आर्थिक राजधानी तब्‍दील करने का सपना देखा था इन्‍होंने, दिलचस्‍प है कहानी

प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को औद्योगिक राजधानी में तब्दील करने का सपना एक शख्स ने तेजी साकार किया। बीते दौर में नगर निगम इंदौर के अपर आयुक्त रहे राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कुमार पुरुषोत्तम ने एमडी के तौर पर एकेवीएन की कमान संभाली तो औद्योगिक विकास को भी पंख लग गए। जून 2015 में कमान संभालने के बाद तीन वर्षों में एकेवीएन के जरिये आसपास की 900 एकड़ जमीन उद्योगों को आवंटित की गई। 300 से ज्यादा उद्योग स्थापित हुए यानी हर साल औसतन सौ नए उद्योग लगे। इन उद्योगों के जरिये क्षेत्र में करीब 25 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ। निवेश की यह राशि न केवल प्रदेश में सबसे ज्यादा है बल्कि एकेवीएन इंदौर ने खुद अपने तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

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कुमार पुरुषोत्तम के कार्यकाल में एकेवीएन के जरिये औद्योगिक निवेश से सीधे तौर पर 30 हजार नौकरियां और रोजगार सृजित होने के आंकड़े सरकार भी मान चुकी है। 2015 से आकलन किया जाए तो तीन वर्षों में सीधे-सीधे औद्योगिक निवेश का आंकड़ा चार गुना बढ़ चुका है। इस दौरान इंदौर और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों में आने वाली कंपनियों में 42 वृहद स्तर की अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हैं।

एकेवीएन के तेज रफ्तार विकास की बदौलत इंदौर के आसपास का औद्योगिक क्षेत्र फार्मा इंडस्ट्री हब बन चुका है। हाल यह है कि विश्व के तमाम देशों में आपूर्ति होने वाली एचआईवी की दवा का सबसे बड़ा हिस्सा पीथमपुर से ही बनकर जा रहा है। कभी बदहाल रहे प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर को कुमार पुरुषोत्तम में दोबारा नए सिरे से विकसित किया। औद्योगिक क्षेत्र से प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को हटाकर खाली जमीन प्रदूषण रहित, प्रतिष्ठित और रोजगार देने वाल उद्योगों को आवंटित की गई। प्रदेश का सबसे बड़ा और व्यस्त पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र करीब 50 साल से भीषण जलसंकट से जूझता रहा।

पांच दशक की ये प्यास एकेवीएन की बदौलत बुझ सकी है। इसी साल पीथमपुर को नर्मदा लाइन से जोड़ दिया गया है। करीब दो हजार करोड़ की योजना की बदौलत उद्योगों के साथ पूरे कस्बे को भी अब नर्मदा का पानी मिल सकेगा। इसके असर से उद्योगों की उत्पादन लागत भी घटेगी। कुमार पुरुषोत्तम के पुरुषार्थ का सिलसिला यहां नहीं थमा। पीथमपुर में सेज में अधिसूचित 1200 एकड़ जमीन केंद्र सरकार से डिनोटिफाइड करवाकर जरूरतमंद उद्योगों को आवंटित की गई, ताकि ज्यादा से ज्यादा उद्योग आ सकें। एकेवीएन ने रिकॉर्ड समय एक वर्ष में पीथमपुर की विकास योजना यानी मास्टर प्लान तैयार कर लागू करवाने में भी सफलता हासिल की।

किसी कस्बे का मास्टर प्लान बनाने और उस आधार पर औद्योगिक क्षेत्र का विकास करने वाली एकेवीएन पहली औद्योगिक संस्था होगी। मास्टर प्लान के जरिये 120 वर्गकिमी क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर विकसित किया जा सकेगा। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के आयोजन की कमान भी एकेवीएन ने ही संभाली। कुमार पुरुषोत्तम के कार्यकाल में 2016 में हुई इंवेस्टर्स समिट में हुए करार में से 70 प्रतिशत असल जमीनी निवेश में तब्दील हो चुके हैं। देश में किसी भी इंवेस्टर्स समिट में साइन एमओयू के अमल का यह सबसे ज्यादा औसत है।

देश के अन्य राज्यों में एमओयू को निवेश में तब्दील करने का औसत सिर्फ 30 प्रतिशत है। सफलता की कहानी गढ़ रहे एकेवीएन से तीन साल पहले तक उद्योगपति नीतियों को लेकर शिकायत करते थे। एकेवीएन ने कंपनी की तरह काम करते हुए सरकारी नीति के अमल का तरीका बदल दिया। एकेवीएन की बदौलत हुए औद्योगिक विकास का सीधा फायदा शहर को दूसरे तरीके से भी मिल रहा है। मध्यभारत में अब सबसे ज्यादा उड़ानें इंदौर एयरपोर्ट से हैं। तीन वर्षों में इनकी संख्या दोगुनी हो गई है। इसकी सबसे बड़ी वजह औद्योगिक विकास ही है।

इसी के साथ बड़ी सितारा होटल और मेजबानी के व्यवसाय को नए निवेश व तेजी से लगते उद्योगों ने ही बढ़ावा दिया। यही वजह है कि किसी खास पर्यटन स्थल के बगैर भी इंदौर में सबसे ज्‍यादा बड़े होट खुल चुके हैं।

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