इंदौर में शुरू हुई ऐसी हेल्पलाइन जिससे आत्महत्या के मामले घटे !
शहर के 20 हजार से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों के कार्ड तैयार कराए गए हैं और उन्हें कई तरह की रियायतें विभाग उपलब्ध कराता है।
समय के हिसाब से पुलिस ने भी अपने तौर-तरीके बदले हैं। अपराधियों के लिए पुलिस सख्त रवैया अपनाती है तो आम आदमी के लिए वह संवेदनशील भी रहती है। हादसों की रोकथाम के लिए भी विभाग ने लगातार काम किए। परिणाम यह है कि गंभीर किस्म के हादसों में पिछले साल की तुलना में 48 प्रतिशत की कमी आई है। शहर में कम्युनिटी पुलिसिंग को लेकर कई काम हुए हैं। शहर के 20 हजार से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों के कार्ड तैयार कराए गए हैं और उन्हें कई तरह की रियायतें विभाग उपलब्ध कराता है। वे खुद को अकेला महसूस न करें, इसके लिए क्षेत्र के पुलिस अफसर उसने संपर्क भी बनाए रखते हैं।
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जीवन में आए तनाव और असफलता जब इंसान को तोड़ देती है तो वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है। ऐसे समय उसे किसी का सहारा मिल जाए तो वह अपना फैसला टाल देता है। पुलिस विभाग ने इसके लिए हेल्पलाइन शुरू की। सैकड़ों लोगों को सही समय पर परामर्श देकर कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए ही मौत के मुंह से उन्हें बचाया जा सका है। ट्रैफिक को लेकर काफी उल्लेखनीय काम हुए हैं।
यह सच है कि सालभर में अपराधों से ज्यादा जानें सड़क हादसों में जाती हैं और मरने वाले ज्यादातर युवा होते हैं। हमने शहर में 30 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए और समाधान भी खोजे। यही कारण है कि पिछले साल की तुलना में हादसों में मौतें भी कम हुई हैं। जनता में भी लगातार अभियान चलाकर ट्रैफिक के प्रति हम जागरूकता बढ़ाते हैं। लोग हेल्मेट पहनकर वाहन चलाएंगे तो हादसों में और कमी आ सकती है, क्योंकि हादसों में ज्यादा मौतें सिर पर चोट लगने से होती है।
विभाग ने साइबर सुरक्षा पर भी काफी फोकस किया है। ऑनलाइन ठगी, कंपनियों द्वारा पैसा न लौटाने जैसी शिकायतें आती रहती हैं। हमने इसके लिए भी ऐप तैयार की है। भारत में इस तरह ऐप के माध्यम से शिकायत करने का प्रयोग इंदौर में हुआ है। उस ऐप पर दस राज्यों से शिकायतें आती हैं। कई ठगाए लोगों के पैसे हमने दिलवाए भी हैं। ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अब ठग भी शातिर और शिक्षित हो गए हैं।
किसी भी अनजान व्यक्ति को पासवर्ड आदि गोपनीय बातें नहीं बताना चाहिए। ठगी के नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। उनसे बचने के लिए हम समय-समय पर सेमिनार, टॉक शो व अन्य अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हैं। शहर में अपराध न पनपे, इसकी रोकथाम के लिए भी लगातार कोशिशें हो रही हैं। जो परिवार आपराधिक पृष्ठिभूमि के हैं, उनकी काउंसलिंग की जाती है। किशोरावस्था में अपराध करने वाले युवकों को भी सही दिशा देने का प्रयास पुलिस करती है।
बच्चों को बचपन से ही दें सीख
हरिनारायणचारी मिश्र ने बताया यदि बचपन में ही बच्चों को यह बता दिया जाए कि सही क्या है और गलत क्या है, तो वे भविष्य में देश के अच्छे नागरिक बनते हैं। स्कूलों में जाकर भी विद्यार्थियों से पुलिस-अफसर संवाद करते हैं। युवाओं की पुलिस से क्या अपेक्षाएं हैं, वे पुलिस के बारे में क्या सोचते हैं, ऐसी जिज्ञासाएं संवाद के माध्यम से दूर की जाती हैं। पुलिस की छवि अब एक अच्छे दोस्त, मार्गदर्शक के रूप में समाज में बनने लगी है, जिसे हम बरकार रखने की पुरी कोशिश करते हैं। अपराधियों में पुलिस का खौफ रहे, नियम तोड़ने वालों पर सख्ती भी हमारी कार्यप्रणाली का हिस्सा है। गुंडों के मकान तोड़ने के काम भी पुलिस ने किए हैं।
-हरिनारायणचारी मिश्र, डीआईजी
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