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इंदौरः कैंसर मरीजों की अपनी तरह की पहली रजिस्ट्री बनाने वाले डॉ. दिगपाल धारकर

डॉ. दिगपाल धारकर ने कैंसर के मरीजों की दिक्कतों को करीब से देखा। टाटा मेमोरियल अस्पताल के बाहर कैंसर मरीजों की लंबी कतार देख फाउंडेशन की योजना ने जन्म लिया।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 06:00 AM (IST)
इंदौरः कैंसर मरीजों की अपनी तरह की पहली रजिस्ट्री बनाने वाले डॉ. दिगपाल धारकर

कैंसर का इलाज और डॉ. दिगपाल धारकर एक-दूसरे के पर्याय हैं। इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक के रूप में उनकी ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेश तक है। डॉ. धारकर ने कैंसर के मरीजों की एक रजिस्ट्री भी बनाई। यह देश में अपनी तरह की पहली रजिस्ट्री है। इसमें मरीज के इलाज पर खर्च के एक-एक रुपए का हिसाब है।

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इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि आखिर कैंसर का इलाज इतना महंगा क्यों है। डॉ. धारकर कैंसर की जांच के लिए 200 से ज्यादा कैंप आयोजित कर चुके हैं। फाउंडेशन के जरिए उन्होंने 6000 से ज्यादा सर्जरी की। इसमें करीब डेढ़ हजार वे मरीज हैं जिन्हें मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया।

1954 में जन्मे डॉ. धारकर की स्कूली शिक्षा जबलपुर में हुई। 1971 में उन्होंने इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की। बगैर किसी हिचक के वे स्वीकारते हैं कि उनका नाम कभी मेरिटोरियस स्टूडेंट्स में शामिल नहीं रहा, लेकिन यह कुछ करने का जज्बा ही था कि वे इंदौर कैंसर फाउंडेशन की स्थापना कर सके। एमबीबीएस के बाद वे मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल से जुड़ गए। वहीं उन्होंने एमएस की डिग्री हासिल की।

करीब 8 साल तक डॉ. धारकर वहां रहे। उन्होंने कैंसर के मरीजों की दिक्कतों को करीब से देखा। टाटा मेमोरियल अस्पताल के बाहर कैंसर के मरीजों की लंबी कतार देख उनके मन में इंदौर कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की योजना ने जन्म लिया। वहां देश के जाने-माने डॉक्टरों के साथ काम करने का अवसर मिला तो मेडिकल स्किल और भी निखर गई। अस्पताल में चार सौ बिस्तर थे, लेकिन चार हजार से ज्यादा लोग लाइन में लगे होते थे। 1988 में राऊ में इंदौर कैंसर फाउंडेशन की स्थापना हुई। 

डॉ. धारकर कहते हैं कि फाउंडेशन की स्थापना में सबसे बड़ी दिक्कत आर्थिक इंतजाम की थी, लेकिन शासन के सहयोग और फाउंडेशन टीम के प्रयास से अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध हो सकीं। इंदौर कैंसर फाउंडेशन में अब तक 6 हजार से ज्यादा सर्जरी हो चुकी है। यहां बने अस्पताल में रेडिएशन, कीमोथेरेपी, ऑपरेशन आदि की सुविधा है।

इंदौर कैंसर फाउंडेशन में निर्धन वर्ग के मरीजों का इलाज मुफ्त होता है, जबकि अन्य वर्ग के लिए न्यूनतम शुल्क पर इलाज उपलब्ध कराया जाता है। डॉ. धारकर मानते हैं कि कैंसर के क्षेत्र में अब भी बहुत काम किया जाना बाकी है।

इंदौर कैंसर फाउंडेशन को राष्ट्रीय स्तर का सेंटर बनाने का उनका सपना मूर्त रूप ले चुका है। अब उनका लक्ष्य इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का सेंटर बनाने का है। सेंटर में कैंसर के इलाज को सस्ता करने को लेकर लगातार शोध हो रहा है।


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