इंदौर के आसपास 6 हजार छोटे उद्योग, 68 % लोगों को मिल रहा है रोजगार
छोटे-मध्यम उद्योगों को दी गई जमीन लीज पर है। इसे फ्री होल्ड करने की जरूरत है।
प्रदेश की औद्योगिक और व्यवसायिक राजधानी इंदौर से ही प्रदेश के उद्योगों की आवाज भी बुलंद हो रही है। उद्योगों की प्रतिनिधि संस्था एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज (एआईएमपी) प्रदेश के तमाम उद्योगों के लिए शासन से लेकर अधिकारियों तक लगातार लड़ाई लड़ रही है। उद्योगों के लिए नीति निर्धारण से लेकर सरकार की दिशा तय करने में एआईएमपी का अहम रोल रहा है। खास तौर पर सूक्ष्म, लघु उद्योगों के लिए एआईएमपी लगातार संघर्ष कर रहा है। एसोसिएशन की अगुआई करते हुए अध्यक्ष आलोक दवे इन उद्योगों की आवाज बने हैं।
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी
दवे प्रदेश के औद्योगिक विकास से खुश हैं और मप्र को बेहतर कानून व्यवस्था व भौगोलिक स्थिति के कारण उद्योगों के लिए सबसे बेहतर प्रदेश भी करार देते हैं। दवे के मुताबिक इंदौर व आसपास पूरे 6 हजार छोटे उद्योग हैं। ये छोटे उद्योग देश-प्रदेश में 68 फीसद रोजगार पैदा कर रहे हैं। दोहरा करारोपण छोटे उद्योगों के लिए बड़ी परेशानी बना है।
उद्योग एक तरफ तो नगरीय निकायों को कर दे रहे हैं, दूसरी ओर उद्योग विभाग भी उनसे संधारण शुल्क वसूल रहा है। छोटे-मध्यम उद्योगों को दी गई जमीन लीज पर है। इसे फ्री होल्ड करने की जरूरत है। शहर के आसपास उद्योगों के लिए जगह नहीं बची है। ऐसे में पालदा, रामबली नगर और बरदरी जैसे निजी औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हुए हैं। इन क्षेत्रों को टीएनसीपी औद्योगिक क्षेत्र मान्य नहीं करती।
नतीजा यहां चल रहे उद्योगों को बैंक की लिमिट नहीं मिलती। स्टाम्प ड्यूटी भी मप्र में अन्य राज्यों से काफी ज्यादा है। बैंक सिर्फ मशीनरी और प्लांट पर ही कोलेट्रल लोन दे रहे हैं, जबकि इसमें भूमि भवन को भी शामिल करना चाहिए। कोई भी उद्योगपति नहीं चाहता कि उसके यहां दुर्घटना हो। फिर भी गलती से दुर्घटना होती है तो उद्योग मालिक पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज होता है।
इसके बाद भी उसे तीन जांच एजेंसियों पुलिस, हेल्थ सेफ्टी और लेबर की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। नियम कानून को सरल बनाया जाना चाहिए। उद्योगों के लिए एक्जिट पॉलिसी भी बनना चाहिए ताकि यदि कोई उद्योगपति अपना व्यवसाय बदलना चाहे तो वह परिवर्तित कर सके। अभी सेज को तो सस्ती और छूट के साथ बिजली मिलती है इसी तरह एमएसएमई को भी रियायती बिजली दी जाए ताकि ऐसे उद्योग बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकें।
हो यह रहा है कि सरकार की मंशा साफ है। घोषणाएं हो रही हैं, उद्योगों की बात सुनी भी जा रही है, लेकिन अमल के समय सरकारी मशीनरी कहीं न कहीं बाधक बनती दिख रही है। छोटे उद्योग सबसे बड़े रोजगार प्रदाता है लिहाजा उनके लिए माहौल बेहतर कैसे हो सबको मिलकर सोचना चाहिए।
- आलोक दवे
(एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश के अध्यक्ष हैं )
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी