इंदौर हादसे में जान गंवाने वाले आठ लोगों की आखें दूसरों को देंगी रोशनी, परिजनों ने किया अंगदान का फैसला
इंदौर में हुए मंदिर हादसे में 36 लोगों की जान अप्रत्याशित ढंग से चली गई। लेकिन मारे कई लोगों के परिवार ने एक फैसला लिया जिसकी खूब तारीफ हो रही है। दरअसल 36 में से 8 परिवार ने तय किया कि वो मृत परिजनों का अंगदान करेंगे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। रामनवमी के दिन इंदौर के बेलेश्र्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में घटी भयावह घटना में 36 लोगों की मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर शव निकाले जा चुके हैं। जान गंवाने वालों में महिलाओं से लेकर पांच साल तक का बच्चा शामिल है।
भले ही प्रकृति ने 36 लोगों की जान अप्रत्याशित ढंग से छीन ली। लेकिन, मारे कुछ लोगों के परिवार ने एक अनूठा फैसला लिया है, जिसकी खूब तारीफ हो रही है। दरअसल, 36 में से 8 परिवार ने मृत परिजनों के अंगदान यानी आंखें और त्वचा को दान देने का फैसला किया।
डॉक्टरों और अधिकारियों के साथ किया गया समन्वय
स्वैच्छिक संगठन मुस्कान ग्रुप ने बताया कि कुछ परिवार वालों ने अपने प्रियजनों की त्वचा और आंखें दान करने पर सहमति जताई है। संगठन ने आगे जानकारी दी कि हमने डॉक्टरों और अधिकारियों के साथ समन्वय किया। संगठन से जुड़े संदीपन आर्य ने बताया कि भारी मन से दुख में डूबे परिवारों ने अपने मृत परिजनों को दूसरों में देखने के लिए अंग दान के लिए हामी भर दी।
उन्होंने बताया, "इंद्र कुमार, भूमिका खानचंदानी, जयंती बाई, दक्ष पटेल, लक्ष्मी पटेल, भारती कुकरेजा, इंदर चंदकी और कनक पटेल के परिवार के सदस्यों ने आंख और त्वचा दान के लिए अपनी लिखित सहमति दी है।"
आंखों और त्वचा को किया गया दान
आंखों को माई हॉस्पिटल और संकरा आई बैंक को दान की गई हैं। वहीं, चोइथराम अस्पताल को त्वचा दान दिया गया। बता दो जिन परिवार के सदस्यों ने अंग दान करने का फैसला किया उनसे बातचीत नहीं हो पाई क्योंकि वो सभी लोग अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे।
एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ थी और उसका तल, जो बावड़ी की छत थी, लोगों का वजन सहन न कर सकी और यह भीषण हादसा हुआ।
बता दें कि गुरुवार को सुबह करीब 11.30 बजे की घटना घटने के बाद से अभी तक चले रेस्क्यू अभियान में अब तक कई लोगों को बावड़ी से निकाला गया, जिनमें दो बच्चियां भी हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया है।