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मैं ससुराल से मायके में आया हूं, यहां लगता है अपनापन : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि यहां आकर ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपने ससुराल से मायके में आ गया हूं। छात्र राजनीति करने के दौरान अपने साथियों से मिलकर मुझे यहां अपना-सा लग रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Dec 2016 04:37 AM (IST)Updated: Tue, 27 Dec 2016 04:56 AM (IST)
मैं ससुराल से मायके में आया हूं, यहां लगता है अपनापन : मुख्यमंत्री

इंदौर, नगर प्रतिनिधि। यहां आकर ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपने ससुराल से मायके में आ गया हूं। छात्र राजनीति करने के दौरान अपने साथियों से मिलकर मुझे यहां अपना-सा लग रहा है।
यह बात खंडवा रोड स्थित यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ता सम्मेलन में आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कही। उन्होंने अपने छात्र राजनीति जीवन के कुछ अनुभव सुनाकर माहौल खुशनुमा बना दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह सुरेश सोनी ने संगठन के सिंद्धातों से रूबरू कराया।

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जेल जाने के बाद जु़डा एबीवीपी से
मुख्यमंत्री ने कहा कि प़ढाई में अच्छा होने से एबीवीपी ने मुझसे संपर्क किया था। संगठन के सूर्यकांत केलकर ने मेरा नाम अपनी डायरी में लिख लिया था, लेकिन उस दौरान इमरजेंसी लग गई थी। पुलिस ने सूर्यकांतजी को गिरफ्तार कर लिया और डायरी में मेरा नाम होने से मुझे गिरफ्तार करने आ गई। तब मैं किराए के मकान में रहकर प़ढाई करता था। पुलिस मेरे घर आई और कहा कि इंदिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन करोगे। मैंने इनकार कर दिया, लेकिन पुलिस ने मकान की तलाशी ली तो आंदोलन से जु़डे परचे मिल गए। तब मुझे और मेरे साथी को जेल भेज दिया। वहां जो खातिरदारी हुई, उसके बाद मन बना लिया था कि एबीवीपी में ही जाना है। बाहर निकलने के बाद कई पदाधिकारियों से संपर्क किया। कुछ इस तरह शुरू हुई छात्र राजनीति।

मूलमंत्र पर अभी कर रहा हूं काम
चौहान ने कहा कि छात्र राजनीति के दौरान पदाधिकारियों ने 'एडवांस इन प्लानिंग एंड प्लानिंग इन डिटेल' का मूलमंत्र दिया था और कहा कि इसे जीवन में हमेशा लागू करना। उसे ध्यान में रखकर आज भी अपने काम कर रहा हूं। इसका फायदा हर वक्त मिलता है।
चुनौतियों को देखकर हो रहे प्रयोग
सोनी ने कहा देश में शिक्षा का परिदृृश्य बदल रहा है, साथ ही चुनौतियां भी ब़$ढने लगी हैं। इसे देखते हुए समाज के लिए कैसे विद्यार्थियों की जरूरत है, इन्हें तैयार करने के लिए छात्र संगठन लगातार प्रयोग कर रहा है। उन्होंने कहा एबीवीपी का उद्देश्य सिर्फ छात्र राजनीति करना नहीं है, बल्कि उन कार्यकर्ताओं को सामाजिक दायित्व के बारे में समझाना है, ताकि वे समाज के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकें।

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यहां के विद्वान नहीं समझते
सोनी ने कहा विदेश में छोटे से छोटा व्यक्ति भी सफाई को लेकर सजग है। वे यहां-वहां कचरा नहीं डालते, लेकिन भारत में लोगों को जागरूक करने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं दिखता है। कारण यह है कि वे लोग किताबी ज्ञान पाकर विद्वान हो गए, लेकिन उन्हें सामाजिक अपनी जिम्मेदारी नहीं पाता है।

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पदाधिकारियों को दिखाने के लिए बताई सक्रियता
आरएसएस और एबीवीपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे। छात्र संगठन से सालों पहले बाहर हो चुके कई पूर्व कार्यकर्ता इन्हें अपनी सक्रियता दिखाते नजर आए। बताया जा रहा है अधिवेशन के आखिर दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी बनाई जाएगी, इसके लिए वे पदाधिकारियों के आगे-पीछे रहे।

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