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कांग्रेस के गांधी स्मारक ट्रस्ट को लेकर नेताओं में घमासान

By Edited By: Published: Thu, 03 Nov 2011 10:55 PM (IST)Updated: Thu, 03 Nov 2011 10:56 PM (IST)
कांग्रेस के गांधी स्मारक ट्रस्ट को लेकर नेताओं में घमासान

ग्वालियर, जागरण संवाददाता। जिला कांग्रेस के गांधी स्मारक ट्रस्ट को लेकर नेताओं का आपसी घमासान नहीं रुक रहा है। जैसे-तैसे नए जिलाध्यक्ष को ट्रस्ट के कमरे की चाबी पुराने अध्यक्ष ने सौंपी, वैसे ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बृजमोहन परिहार ने मौजूदा अध्यक्ष से ट्रस्ट की संपत्ति से लेकर रुपयों व न्यासियों की नियुक्तियों का हिसाब मांग लिया। इसे लेकर अब नेताओं में विवाद शुरू हो गया है।

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ग्वालियर में जिला कांग्रेस कमेटी के पास शहर में तीन बड़े भवन हैं। जिसमें से दो लश्कर में तथा एक मुरार में हैं। इन तीनों संपत्तियों में पचास से ज्यादा दुकानें हैं। इन दुकानों को किराए पर कैसे दिया गया और किस दुकानदार से कितनी धनराशि प्रीमियम पर ली गयी है, इसका हिसाब कांग्रेस के ही नेताओं के सामने नहीं है। इसके अलावा पुराने अध्यक्ष ने अपने हिसाब से ट्रस्ट में न्यासी बनाए हैं और उनको तब तक नहीं बदला गया, जब तक किसी की मृत्यु नहीं हो गयी। इन सब मुद्दों को कांग्रेस नेता परिहार ने सामने रखा और नए अध्यक्ष दर्शन सिंह से जवाब मांगा। परिहार का कहना है कि न्यास का विधान है कि हर वर्ष चौथाई सदस्य न्यास से हटाए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। जो एक बार पहले न्यासी बन गया, उसे हटाया नहीं गया। लश्कर स्थित शिंदे की छावनी में बने कांग्रेस कार्यालय में मनमाने ढंग से दुकानें किराए पर दी गयी हैं। यहां तक की बेसमेट में पार्किग वाले स्थान पर भी दुकानें बेच दी गयीं। पिछले दस वर्षो से न्यास का प्रतिवेदन तक जिला कमेटी के सामने नहीं रखा गया है। ऐसे में यही जाहिर हो रहा है कि न्यास की संपत्ति के साथ अनियमितताएं हो रही हैं।

पिछले अध्यक्ष प्रकाश खंडेलवाल ने भी इस मामले में पारदर्शिता नहीं दिखाई और न्यास का हिसाब तक नहीं दिया। खंडेलवाल ने मुश्किल से इस न्यास का प्रभार नए जिलाध्यक्ष दर्शन सिंह को दिया। उनका यही प्रयास रहा कि न्यास का कार्यभार वे देखते रहें, लेकिन दूसरे नेताओं के प्रबल विरोध के चलते ऐसा नहीं हो सका। अब दूसरे नेता न्यास का पूरा हिसाब सामने लाने के मूड में हैं, इसलिए नेताओं में संपत्ति को लेकर ही घमासान हो रहा है।

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