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Vijayaraje Scindia Jayanti: यशोधरा राजे बोलीं, राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती में ज्योतिरादित्य यदि बुलाते तो मैं जरूर आती

Vijayaraje Scindia Jayanti मध्य प्रदेश की खेल मंत्री व ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि यदि ज्योतिरादित्य उन्हें राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती में बुलाते तो वे 12 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में जरूर आतीं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 07:09 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 07:09 PM (IST)
Vijayaraje Scindia Jayanti: यशोधरा राजे बोलीं, राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती में ज्योतिरादित्य यदि बुलाते तो मैं जरूर आती
ज्योतिरादित्य सिंधिया और यशोधरा राजे। फाइल फोटो

ग्वालियर, जेएनएन। राजामाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया की जयंती दो बार मनाए जाने से सिंधिया परिवार के बीच का मनमुटाव सार्वजनिक हो गया है। रविवार को करवाचौथ के दिन राजमाता की जयंती यशोधरा और वसुंधरा ने मनाई थी। जबकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने 12 अक्टूबर को राजमाता की जयंती मनाई थी। इस बारे में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मध्य प्रदेश की खेल मंत्री व ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि यदि ज्योतिरादित्य उन्हें बुलाते तो वे 12 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में जरूर आतीं। उन्होंने कहा कि अम्मा महाराज की जयंती पर वह कार्यक्रम आयोजित करती आ रही हैं। यह कार्यक्रम पारिवारिक होता है। यशोधरा राजे के इस बयान का इशारा था कि 12 अक्टूबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो कार्यक्रम आयोजित किया था, वह कार्यक्रम पारिवारिक न होकर राजनीतिक था।

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12 दिन में दो बार मनाई गई विजयाराजे सिंधिया की जयंती

ग्वालियर राजघराने की राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया की जयंती का आयोजन 12 दिन के अंतराल में रविवार को दूसरी बार किया गया। दोनों में परिवार के कुछ सदस्यों की गैर मौजूदगी ने उनमें दूरियों की झलक फिर दिखा दी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार राजमाता का जन्मदिन 12 अक्टूबर है। इस वर्ष 12 अक्टूबर को उनके पोते और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुष्पांजलि (श्रद्धांजलि) कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर राजमाता की बेटी और ज्योतिरादित्य की छोटी बुआ यशोधरा राजे नहीं पहुंचीं। भारतीय तिथि के अनुसार, उनका जन्म करवाचौथ के दिन हुआ था। हर वर्ष की तरह यशोधरा राजे ने इस साल भी रविवार को करवाचौथ पर सिंधिया राजघराने की छत्री परिसर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया। उनकी बड़ी बहन और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी लंबे अरसे बाद इसमें शामिल हुई, लेकिन ज्योतिरादित्य नहीं पहुंचे। वह प्रदेश के बुरहानपुर में चुनावी सभा में थे। 12 अक्टूबर का कार्यक्रम ज्योतिरादित्य के भाजपा में शामिल होने के बाद इस तरह का पहला आयोजन था। उत्सवी स्वरूप में हुए आयोजन में ज्योतिरादित्य मां माधवी राजे, पत्नी प्रियदर्शिनी और बेटे महाआर्यमन के साथ आए। उनके समर्थक सभी मंत्री, पूरे अंचल से भाजपा नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुटे थे। वहीं, रविवार को हुए आयोजन में ज्योतिरादित्य समर्थक मंत्री नहीं पहुंचे जबकि यशोधरा खुद मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। यह भी रोचक रहा कि राजघराने के धुर विरोधी रहे वरिष्ठ भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया इसमें शामिल हुए। उन्होंने कहा, मैं यशोधरा राजे के भावपूर्ण आग्रह के कारण आया हूं। राजमाता का जीवन राष्ट्रसेवा, हिंदुत्व, गो सेवा और संतों की सेवा के लिए समर्पित रहा।

बुआ-भतीजे का एक-दूसरे के आयोजन में न आना चर्चा का विषय
वसुंधरा ने कहा- मैं यहां पारिवारिक कार्यक्रम में आई हूं। अम्मा महाराज को श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा, राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह, भाजपा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार भी शामिल हुए। भारतीय जनसंघ और भाजपा की आधार स्तंभ रहीं विजयाराजे सिंधिया की जयंती पर एक ही पार्टी में होने के बावजूद बुआ-भतीजे का एक-दूसरे के आयोजन में न आना चर्चा का विषय है। इसकी एक बड़ी वजह बुआ-भतीजे के बीच पुराना संपत्ति विवाद है। इसकी शुरुआत राजमाता और उनके बेटे स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के समय ही हो गई थी। माधवराव कांग्रेस में थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस परिवार के सार्वजनिक मंचों पर एक साथ आने से कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाता है। यह इसलिए भी जरूरी है कि भाजपा में राजमाता का बहुत सम्मान है। शायद यही वजह रही कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार राजमाता की जयंती बड़े स्तर पर मनाई। उनका पूरा परिवार श्रद्धांजलि देने पहुंचा।


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