MP News: पत्नी को 18 साल बाद मिला न्याय, बीमा कंपनी ब्याज सहित लौटाएगी बीमा राशि
बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इंकार कर दिया। कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता ने बीमा लेने से पहले अपनी बीमारी को छुपाया था जबकि इस मामले में वे कोई भी ठोस सबूत नहीं दे पाए।
भोपाल, जेएनएन। राज्य उपभोक्ता आयोग में 18 साल बाद एक मामले का निराकरण किया गया है। बीमा धारक की पत्नी ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के खिलाफ 2003 में केस लगाया था और जिला उपभोक्ता आयोग से केस हारने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। आयोग ने सितंबर 2021 में निर्णय सुनाया है।
बैतूल जिले के सारनी की रहने वाली गीता जोजे ने एलआईसी के खिलाफ केस लगाया। गीता के पति ने एलआइसी से बीमा लिया था, जो 1998 तक प्रभावशील था। उनकी मौत सन 2000 में दिल का दौरा पड़ने से हो गई। बीमा कंपनी ने बीमा राशि देने से इंकार कर दिया। कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता ने बीमा लेने से पहले अपनी बीमारी को छुपाया था, जबकि इस मामले में वे कोई भी ठोस सबूत नहीं दे पाए।
मामले में आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। उपभोक्ता को एक लाख 25 हजार रुपये के साथ-साथ 2003 से 10 फीसद ब्याज के साथ राशि लौटानी होगी। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय भी देना होगा।