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Madhya Pradesh: उमा भारती बोलीं-मैं सिर्फ शराब के खिलाफ, मप्र सरकार के नहीं

Madhya Pradesh उमा भारती ने कहा कि मध्य प्रदेश में शराबबंदी होकर रहेगी। वह स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इसे लेकर मुलाकात करेंगी। उमा ने कहा कि मैं शिवराज सिंह से शराबबंदी का अनुरोध कर रही हूं। वह मानें मैं सरकार के खिलाफ नहीं हूं सिर्फ शराब के खिलाफ हूं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 20 Feb 2022 08:47 PM (IST)Updated: Sun, 20 Feb 2022 10:57 PM (IST)
Madhya Pradesh: उमा भारती बोलीं-मैं सिर्फ शराब के खिलाफ, मप्र सरकार के नहीं
उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान। फाइल फोटो

टीकमगढ़, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि मध्य प्रदेश में शराबबंदी होकर रहेगी। वह स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इसे लेकर मुलाकात करेंगी। उमा ने कहा कि मैं शिवराज सिंह से शराबबंदी का अनुरोध कर रही हूं। वह मानें, मैं सरकार के खिलाफ नहीं हूं, सिर्फ शराब के खिलाफ हूं। उमा भारती ने टीकमगढ़ पहुंचकर भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। यूपी चुनाव को लेकर मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में हम सभी 403 सीटों पर ही जीतने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। कम कैसे कह सकते हैं?

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आते समय रास्ते में एक घायल को अस्पताल भेजा

रविवार को उमा भारती छतरपुर जिले से टीकमगढ़ के लिए कार द्वारा बल्देवगढ़ होकर आईं। रास्ते में ही बल्देवगढ़ रोड पर एक युवक कटेरा निवासी भरत लोधी हादसे का शिकार होकर सड़क किनारे पड़ा था, जिसे देखकर पूर्व सीएम ने काफिला रकवाया और उसे अस्पताल भिजवाया।

गौरतलब है कि इससे पहले उमा भारती ने जैत गांव के जन्मदिन पर आयोजित गौरव दिवस का हवाला देकर कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने गांव को पूरी तरह नशा मुक्त गांव बनाने का संकल्प ग्रामीणों को दिलाया, यह शराबबंदी व नशाबंदी की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने ट्विट में लिखा कि मैं मध्य प्रदेश के सभी विधायकों, सांसदों व सभी जन प्रतिनिधियों से अपील करती हूं कि सभी लोग अपने जन्म स्थान के गांव में यह पहल करें। अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। उमा भारती ने एक अन्य ट्विट में कहा कि कर्नाटक में हिजाब पहनने पर उठा विवाद राजनीतिक व सांप्रदायिक दिशा में मुड़ गया है। इसे रोकने के लिए राजनीतिक दलों के नेता इस पर अपनी टिप्पणी तुरंत बंद कर दें। इसके साथ ही राज्य की सरकारें, शिक्षण संस्थाओं की स्वाधीनता व नागरिकों का संवैधानिक अधिकार तीनों को मिलाकर जो निष्कर्ष निकालें, उसे स्वीकार करें।


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