पत्थलगड़ी से गरमाई आदिवासी सियासत, जानिए क्यों बंद हुआ मंत्री धुर्वे का हुक्का-पानी
धुर्वे ने माफी मांगी, तब जाकर उन्हें सामाजिक गातिविधियों में शामिल होने की अनुमति मिल पाई।
भोपाल [ जेएनएन ] । मध्य प्रदेश में भी पत्थलगड़ी से आदिवासी सियासत गरमाई हुई है। आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 विधानसभा में किसी न किसी प्रकार पत्थलगड़ी समर्थकों ने अपनी गतिविधियां और सक्रियता बढ़ा रखी हैं। शुरुआती दौर में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने पत्थलगड़ी का विरोध किया तो उन्हें समाज से निष्काषित कर हुक्का-पानी बंद कर दिया गया था।
इसके बाद धुर्वे ने माफी मांगी, तब जाकर उन्हें सामाजिक गातिविधियों में शामिल होने की अनुमति मिल पाई। मप्र पुलिस ने इन मामलों में झारखंड के आदिवासी नेता 'कृष्णहंषा' के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला भी दर्ज कर लिया है। पत्थलगड़ी समर्थक नक्सली प्लेटफार्म तैयार कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिले डिंडौरी और मंडला के दो दर्जन से ज्यादा गांवों में सबसे पहले 'पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में गैर आदिवासियों का प्रवेश वर्जित' वाले पत्थर लगाए गए थे। इसमें सरकार का लोगों भी लगा था। इसके जरिये आदिवासियों ने स्वशासन की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश के दूसरे आदिवासी बाहुल्य मालवांचल में भी 'जयेस' नामक संगठन सक्रिय है, जो आरक्षित वर्ग में अलगाव की भाषा को हवा दे रहा है।
कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में जीते
मप्र में आदिवासी बहुल इलाकों में पत्थलगड़ी की एंट्री से पहले कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव हुए थे। मंडला-डिंडौरी के अधिकांश कॉलेजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) दोनों ही संगठन बुरी तरह हार गए। तभी ये बात सामने आई थी कि इस क्षेत्र में अलगाव पैदा कर आदिवासियों को भड़काया जा रहा है। इसमें भी परोक्ष रूप से पत्थलगड़ी समर्थक जुड़े थे। अन्य सीमावर्ती इलाके अनूपपुर, उमरिया, शहडोल सहित झारखंड सीमा से लगे सिंगरौली में भी आदिवासियों को बरगलाने की कोशिश हुई, लेकिन वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाए।
अब मात्र 16 गांव बचे हैं
डिंडौरी जिले के एसपी कार्तिकेयन के. ने बताया कि पत्थलगड़ी से प्रभावित अब मात्र 16 गांव बचे हैं, जहां नियमित रूप से जनसंवाद कर समझाइश दी जा रही है। उन्होंने बताया कि झारखंड के आदिवासी नेता कृष्णहंषा के खिलाफ पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। यही व्यक्ति झारखंड से आकर यहां आदिवासियों को भड़का रहा था।