मंत्री को 7 दिन में लौटानी होगी फाइल, सीएम बंधनमुक्त
अब हर मंत्री को सात दिन के भीतर फाइल का निराकरण करना होगा। प्रदेश सरकार ने बाबू से लेकर मुख्यसचिव तक फाइल निपटाने की समयसीमा नए सिरे से तय कर दी है
भोपाल, वैभव श्रीधर। अब हर मंत्री को सात दिन के भीतर फाइल का निराकरण करना होगा। प्रदेश सरकार ने बाबू से लेकर मुख्यसचिव तक फाइल निपटाने की समयसीमा नए सिरे से तय कर दी है। नई व्यवस्था में मुख्यमंत्री को समयसीमा से मुक्त रखा गया है। अब मंत्रालय में नए फाइल ट्रेकिंग सिस्टम से काम होगा। अनुशासनात्मक और डीई के मामले 5 दिन में निपटाना होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली मंत्री-अधिकारियों की संयुक्त बैठक में फाइल ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने के निर्देश दिए थे। सामान्य प्रशासन विभाग ने 2013 में फाइलों के निपटारे की समयसीमा तय की थी। इसमें मुख्यमंत्री के लिए नीति, नियम और विभागीय जांच से जु़डे मामलों में 3 दिन, कैबिनेट, अपील, कोर्ट केस से जु़डे प्रकरणों में 2 दिन और शेष मामलों में एक दिन में फाइल निपटारे की मियाद रखी गई थी। नई व्यवस्था में इसे हटा लिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की व्यस्तताओं को देखते हुए फाइलों को निश्चित समयसीमा में लौटाना व्यवहारिक नहीं था। मंत्री भी दौरे या क्षेत्र में रहते हैं, इसलिए उनके लिए तय अवधि पांच से ब़ढाकर सात दिन कर दी है। महत्वपूर्ण फाइलें सभी को उसी दिन लौटानी होंगी। अधिकारियों को विभागीय जांच या अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले की फाइल पर पांच दिन में निर्णय लेना होगा।
कंप्यूटर पर दर्ज किए बिना नहीं ब़ढेगी फाइल
सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश में कहा है कि हर स्तर पर फाइलों का मूवमेंट [ जहां--जिसके पास भी हो ] कंप्यूटर पर अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। बिना दर्ज किए किसी भी नस्ती का मूवमेंट नहीं होगा। अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव को हर महीने इसकी मॉनीटरिंग करनी होगी। फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग अधिकारियों को सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण भी दिलवाएगा।
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