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Third Wave Of Corona: पिछले बार की तरह कोरोना वायरस की तीसरी लहर में नहीं है ब्लैक फंगस का खतरा

Third Wave Of Corona डाक्टर इस स्थिति को टीकाकरण से जोड़कर भी देख रहे हैं। उनके मुताबिक जिन मरीजों को कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना के वायरस से लड़कर वायरस को कमजोर कर देती है।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 10:55 AM (IST)
Third Wave Of Corona: पिछले बार की तरह कोरोना वायरस की तीसरी लहर में नहीं है ब्लैक फंगस का खतरा
ब्लैक फंगस का खतरा पिछले बार की तरह कोरोना वायरस की तीसरी लहर में नहीं

इंदौर, जेएनएन । कोरोना टीकाकरण अभियान सतत जारी है। अब तक जिले में 62 लाख से ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। डाक्टरों के मुताबिक इस बार संक्रमण फैलने की गति तेज है लेकिन इसकी गंभीरता ज्यादा नहीं है। यही वजह है कि ज्यादातर मरीज सामान्य दवाई से ही ठीक हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों के कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें पोस्ट कोविड परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यानी इस बार कोरोना के साथ ब्लैक फंगस का दंश नहीं झेलना पड़ेगा। कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच यह एक राहतभरी खबर है कि तीसरी लहर में संक्रमित होने वाले मरीजों को ब्लैक फंगस का खतरा बहुत कम रहेगा।

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डाक्टरों के मुताबिक जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या जिन्हें अन्य कई बीमारियां हैं उन्हें कोरोना संक्रमण गंभीर होने का खतरा ज्यादा है। जरूरी यह है कि समय पर कोरोना के दोनों टीके लगवा लिए जाएं। जिससे मरीजों मे ब्लैक फंगस या अन्य और कोई खतरा कम रहेगा।

मालूम हो कि कोरोना टीकाकरण अभियान सतत जारी है। अब तक जिले में 62 लाख से ज्यादा टीके लगाए जा चुके हैं। हालांकि मौसम की वजह से पिछले दो-तीन दिन से यह अभियान ठंडा पड़ा हुआ है। मंगलवार को तो जिले में दस हजार टीके भी नहीं लगाए जा सके। जिले के करीब डेढ लाख लोग हैं जिन्होंने दूसरे टीके की तारीख आने के बावजूद कोरोना का दूसरा टीका नहीं लगवाया है।

वैसे भी कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इस बार एक और तो दिक्कत यह आ रही है कि ज्यादातर मामलों में रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं हो रही है । पुष्टि के लिए आरटीपीसीआर जांच करवाना पड़ रही है। डाक्टरों के मुताबिक दूसरी लहर के मुकाबले इस बार वायरस लोड बहुत कम है। यही वजह है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं हो रही। जब तक व्यक्ति आरटीपीसीआर जांच करवाता है तब तक वह कई लोगों के लिए कोरोना वाहक बन चुका होता है।


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