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MP News: भोपाल के अस्पताल में प्रसूता और गर्भस्थ शिशु की हालत बिगड़ती रही लेकिन 22 घंटे तक किसी डाक्टर ने देखा नहीं, दोनों की मौत

वह 10 बजे अस्पताल पहुंचीं। इसके बाद भी आपरेशन करने की जगह शिशु को वैक्यूम पंप से निकालने की कोशिश की। गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद महिला की हालत लगातार बिगड़ रही थी। दोपहर 12 बजे के करीब उसकी मौत हो गई।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 12:44 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 12:44 PM (IST)
MP News: भोपाल के अस्पताल में प्रसूता और गर्भस्थ शिशु की हालत बिगड़ती रही लेकिन 22 घंटे तक किसी डाक्टर ने देखा नहीं, दोनों की मौत
MP News: भोपाल के अस्पताल में प्रसूता और गर्भस्थ शिशु की मौत

भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्‍क। भोपाल के जेपी अस्पताल में एक प्रसूता चंचल तिवारी और उनके गर्भस्थ शिशु की मौत के मामले में डाक्‍टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। लापरवाही के चलते स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. श्रद्धा अग्रवाल, डा. प्रीति डेहरिया और डा. वंदना ओड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

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मालूम हो कि जेपी अस्पताल के डाक्टरों की तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य आयुक्त ने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और नर्सिंग अधिकारी अनामिका पटले को निलंबित कर दिया है। प्रसूता और गर्भस्थ शिशु की हालत लगातार बिगड़ रही थी लेकिन 22 घंटे तक किसी गायनकोलाजिस्ट ने उसे देखा ही नहीं। समय पर आपरेशन भी नहीं किया गया।

जांच समिति ने डा. श्रद्धा अग्रवाल के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन उन्हें सिर्फ नोटिस दिया गया है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद इनके खिलाफ भी कुछ न कुछ कार्रवाई हो सकती है।वार्ड में रात में ड्यूटी डा. वंदना ओड़ की थी, लेकिन उन्होंने डा. पी कुमार को महिला की हालत के बारे में नहीं बताया। न ही उन्होंने दूसरे अधिकारियों को जानकारी दी।

ड्यूटी पर पदस्थ चिकित्सा अधिकारी ने भर्ती किया था। उस दिन स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. पी कुमार की ड्यूटी थी। चंचल तिवारी को 25 जून को दोपहर 12 बजे जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने 12 बजे के करीब चंचल को देखा था। इसके बाद वह चार बजे तक अस्पताल में रहीं, लेकिन उन्होंने दोबारा नहीं देखा। रात में उनकी काल ड्यूटी भी थी, लेकिन उन्होंने अस्पताल आकर या फोन पर मरीज का हालचाल नहीं लिया।

सुबह सात बजे गर्भस्थ शिशु की धड़कन बंद हो गई थी। इसके बाद जितना जल्दी हो सके आपरेशन कर मृत शिशु को निकालने की जरूरत थी। वार्ड में मौजूद चिकित्सा अधिकारी डा. प्राति डेहरिया ने करीब डेढ़ घंटे बाद साढ़े आठ बजे फोन पर यह जानकारी डा. अग्रवाल को दी। उन्हें फौरन अस्पताल पहुंचना था। बताया जा रहा है कि वह 10 बजे अस्पताल पहुंचीं। इसके बाद भी आपरेशन करने की जगह शिशु को वैक्यूम पंप से निकालने की कोशिश की। गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद महिला की हालत लगातार बिगड़ रही थी। दोपहर 12 बजे के करीब उसकी मौत हो गई।

बताया जा रहा है किअस्‍पताल स्‍टाफ पर पहले भी लग चुके हैं लापरवाही के आरोप- इसी साल मई में वर्षा नामक महिला की मौत हो गई थी। उन्हें प्रसव के लिए जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से हालत बिगड़ने पर सुल्तानिया रेफर किया गया था।2021 में नसबंदी के दौरान बरखेड़ा पठानी की रहने वाली एक महिला की मौत हो गई थी। स्वजन ने डा. श्रद्धा अग्रवाल पर लापरवाही का आरोप लगाया था। कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पताल में भर्ती एक पुलिस जवान की मौत शौचालय में हो गई थी। 36 घंटे बाद शव मिला था। 


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