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दस वर्षीय बालक सिद्धम जैन ने चुनी वैराग्‍य की कठिन डगर, Photos में देखें कैसे ली जाती है दीक्षा

इंदौर के दस वर्षीय सिद्धम जैन ने हिंकरगिरी मंदिर में दीक्षा लेकर अपनी मां का सपना पूरा किया। सिद्धम की मां प्रियंका जैन अपने बेटे को वैराग्य के पथ पर आगे बढ़ते देखना चाहती थीं। इस परिवार के दस सदस्‍य अब तक जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण कर चुके हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 02:18 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 02:38 PM (IST)
दस वर्षीय बालक सिद्धम जैन ने चुनी वैराग्‍य की कठिन डगर, Photos में देखें कैसे ली जाती है दीक्षा
दस वर्षीय बालक सिद्धम जैन ने रविवार को इंदौर के हिंकरगिरी मंदिर में दीक्षा ली

इंदौर, जेएनएन। खिलौनों से खेलने की उम्र में बोरी (अलीराजपुर) की चौथी कक्षा में पढ़ने वाले दस वर्षीय बालक सिद्धम जैन ने रविवार को इंदौर के हिंकरगिरी मंदिर में दीक्षा लेकर अपनी मां का सपना पूरा किया। कंधे पर स्कूल बैग लेकर उज्जवल भविष्य के सपने देखने की बजाए इस बच्‍चे ने वैराग्य की कठिन राह को चुना। हाथ में अब भी किताबें होंगी, लेकिन जैन धर्म सिखाने वाली । जिस तरह आम माता-पिता अपने बच्चे को डॉक्टर-इंजीनियर बनाना चाहते हैं, उसी तरह सिद्धम की मां प्रियंका जैन अपने बेटे को वैराग्य के पथ पर आगे बढ़ते देखना चाहती थीं। उनके परिवार के दस सदस्य अब तक दीक्षा ले चुके हैं। उनके दीक्षा गुरु गनिवार्य आनंदचंद्रसागर महाराज बने जो उनके सांसारिक जीवन के मामा हैं।

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ये संयम के पथ पर चलने जैसा है

-गुरु के साथ जब सिद्धम मुनि श्रीचंद्रसागर बन समाजजन के बीच पहुंचा तो अक्षत की वर्षा की गई।

सिद्धम जैन की मां प्रियंका जैन का कहना है कि दीक्षा लेना मेरा बचपन का सपना था। पारिवारिक कारणों के चलते मैं दीक्षा नहीं ले सकी।आ मेरे बेटे मेरा बरसों पुराना सपना पूरा कर दिया है। वो मेरे बताए रास्ते पर चल पड़ा। मैं हमेशा उससे कहती कि संयम पथ पर चलने जैसा हैए , उसे बार-बार आचार्य श्री के पास ले जाती। मुझे दीक्षा लेनी थी, लेकिन नहीं ले सकी। आज मेरा बच्‍चा संयम की राह पर आगे बढ़ रहा है। मैं इसे अपना सौभाग्य मानती हूं।

-बेटी के विवाह के बाद जिस तरह दहलीज छुड़ाई जाती है, उसी तरह सुबह सिद्धम की भी दहलीज छुड़ाने की विधि हुई।

अब लोग मुझे नए नाम से पुकारेंगे

अब लोग नए नाम से पुकारेंगे और कहेंगे सेल्फ स्टडी करो। अब मुझे कोई आइसक्रीम खाने को नहीं कहेगा। नए नाम से पुण्‍य की प्राप्ति होगी। अब हर तरह की परेशानी से बच जाओगे। वह पहले भी पंखा, फ्रिज, मोबाइल, टीवी नहीं देखता था और भी कई बच्चे धर्म से जुड़ेंगे। पांच साल की उम्र में, मैं शिक्षकों के साथ हूं और रात का खाना छोड़ चुका हूं । मुझे 500 से अधिक श्लोक कंठस्‍थ हैं।- मुनि श्रीचंदसागर महाराज

- गुरुओं ने दिया आशीर्वाद 

इस परिवार के दस लोग ले चुके हैं दीक्षा

बालक सिद्धम ने परिवार से दीक्षा लेने के बाद अब तक दस लोगों ने इस परिवार में दीक्षा ली है। कांतिमुनि महाराज, गनीवर्य मेघचंद्रसागर, पद्मचंद्र सागर, आनंदचंद्रसागर, प्रियचंदसागर महाराज इस परिवार से जैन संत बनकर जैन धर्म का प्रभाव कर रहे हैं। इनमें साध्वी मेघवर्षश्रीजी, पद्मवर्षश्रीजी, आनंदवर्षश्रीजी शामिल हैं। इसके बाद वे परिवार से दसवीं दीक्षा संतान सिद्धम लेकर मुनि श्रीचंदसागर बने। इससे पहले शहर में तीसरी कक्षा में पढ़ रही 9 साल की बच्ची प्रियांशी तांत ने 2018 में दीक्षा ली थी।

- सिद्धम जैन ने पूरा किया मां का सपना


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