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मध्य प्रदेश में सब इंजीनियर भर्ती प्रक्रिया अटकी, हाई कोर्ट ने कहा- OBC के लिए 14 फीसद से ज्यादा आरक्षण नहीं

न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए पीईबी और अन्य से इस संबंध में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पीईबी से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण न हो।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 28 Mar 2023 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 11:43 PM (IST)
मध्य प्रदेश में सब इंजीनियर भर्ती प्रक्रिया अटकी, हाई कोर्ट ने कहा- OBC के लिए 14 फीसद से ज्यादा आरक्षण नहीं
मध्य प्रदेश में सब इंजीनियर भर्ती प्रक्रिया अटकी

इंदौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश में प्रोफेशनल एक्जाम बोर्ड (पीईबी) द्वारा की जा रही सब इंजीनियर, ड्राफ्टमेन और अन्य की भर्तियां अटक गई हैं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता। इस संबंध में पहले ही पांच दर्जन से ज्यादा याचिकाएं हाई कोर्ट की मुख्यपीठ के समक्ष लंबित हैं।

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क्या कहा गया है याचिका में

हाई कोर्ट में यह याचिका उज्जैन निवासी दीपक जैन ने दायर की थी। याचिका में कहा गया कि पीईबी ने 27 मार्च, 2022 को एक विज्ञापन जारी कर सब इंजीनियर, ड्राफ्टमेन व अन्य के 2363 पदों के लिए आवेदन मंगवाए थे। आठ नवंबर, 2022 को भर्ती परीक्षा भी आयोजित की गई।

परीक्षा में मध्य प्रदेश लोकसेवा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण संशोधन अधिनियम 2019 के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 के स्थान पर 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जबकि अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण पहले से था।

याचिका में लगाई गई गुहार

इस तरह इस संशोधित अधिनियम के बाद कुल आरक्षण 63 प्रतिशत हो गया, जो 50 प्रतिशत से ज्यादा है। याचिका में गुहार लगाई गई कि याचिककर्ता ने भी उक्त भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था। उसे 143.41 अंक मिले, बावजूद इसके उसका चयन नहीं हो सका। याचिका में कहा गया कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण का मुद्दा पहले ही से हाई कोर्ट की मुख्य खंडपीठ के समक्ष लंबित है।

इसे लेकर 63 याचिकाएं लंबित हैं। न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए पीईबी और अन्य से इस संबंध में जवाब मांगा है। कोर्ट ने पीईबी से कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण न हो।


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