Ganesh Chaturthi 2024: मंदिरों में अनुष्ठान शुरु, पांडालों में विराजे गणपति
गणेश चतुर्थी पर शनिवार को नगर के कई स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं झांकियों में विराजमान की गई। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी नगर के पुराना बाजार मुहल्ले में गणेश प्रतिमा की आकर्षक झांकी सजाई गई। जहां पर गणेश प्रतिमा को युवा गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाते हुए लाए और यहां पर इनकी स्थापना की गई। इसके साथ ही थाना परिसर मंदिर में भी गणेश प्रतिमा विराजमान की गई।
जेएनएन, टीकमगढ़। शहर सहित कस्बों में गणेश चतुर्थी पर बाजारों में धूम नजर आई। बाजार में भगवान गणेश की प्रतिमाओं की रौनक है। शनिवार को नगर के प्रमुख चौराहों, घरों और पांडालों में पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी से बने भगवान गणेश की स्थापना की गई। मुख्य बाजार में काफी संख्या में भगवान श्री गणेश की मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की दुकानें सजी हैं। इसके अलावा दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर बड़े-बड़े पंडाल सजाए गए।
शनिवार को विधि विधान से स्थापना के बाद 10 दिनों तक पूजा अर्चना की जाएगी।शहर में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर गणेश पंडाल सज गए हैं। छोटी देवी मंदिर के पास, ताल दरवाजा, पुरानी टेहरी, राजमहल, पुराना बस स्टैंड, मामौन दरवाजा, चकरा तिराहा, सिंधी धर्मशाला सहित अन्य स्थानों पर 12 फीट तक की प्रतिमाएं स्थापित की गई।
प्रशासन की गाइड लाइन के चलते इस बार 15 फीट से कम ऊंचाई की गणेश प्रतिमाएं बनाई गई है। गणेश चतुर्थी पर्व के साथ ही शहर के प्राचीन गणेश मंदिरों में 10 दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। घर घर विराजे गजानन जतारा। शनिवार को सुबह से ही नगर में भगवान गणेश चतुर्थी के दिन लोगों में उत्साह का माहौल देखने को मिला।
महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां पर भी लोगों द्वारा अपने घरों में गजानन भगवान को विराजमान कर आगामी अनंत चतुर्दशी तक हर तरफ गणपति बप्पा मोरया के जयकारे सुनाईं देंगे, वैसे तो हिन्दू धर्म में रीति रिवाज के अनुसार प्रत्येक तीज त्यौहार का एक अलग ही महत्व है, जिसमें भगवान गणेश का पर्व गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और यहां भी लोगों बाजार में उनकी प्रतिमा स्थापित करने के लिए खरीदते हुए देखा गया है। गणेश चतुर्थी पर विराजमान हुई प्रतिमाएं पलेरा।