रामनरेश यादव के साफ दामन पर लगा था व्यापमं का दाग
बेहद ईमानदार छवि, निर्विवाद नेता मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव के पूरे राजनीतिक दामन पर व्यापमं घोटाले ने दाग लगा दिया था।
भोपाल, ब्यूरो। लंबे समय तक समाजवादी नेता रहे मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव बेहद ईमानदार छवि, निर्विवाद राजनीतिक सफर की बदौलत उप्र के मुख्यमंत्री बने। स्वाभिमानी इतने कि पद कोई भी रहा हो, इस्तीफा हमेशा जेब में रहता था, पर जब जीवन के उत्तरार्ध में मप्र के राज्यपाल बने तो उनके पूरे राजनीतिक दामन पर व्यापमं घोटाले ने दाग लगा दिया था। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए उन्हें एफआईआर का सामना करना प़डा। विवादास्पद होने के कारण विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार से भी उनको रूबरू होना प़डा।
आजमग़ढ जिले में एक जुलाई 1928 को जन्मे रामनरेश यादव आठ सितंबर 2011 को मप्र के 19 वें राज्यपाल के रूप नियुक्त हुए थे। वकालत से कैरियर की शुरूआत करने वाले यादव 1975 में आपातकाल में मीसाबंदी थे और वे तीन बार यूपी में एमएलए, एक बार लोकसभा सदस्य बनने के बाद राज्यसभा सदस्य भी रहे थे।
नेता प्रतिपक्ष ने सदन में अगवानी नहीं की
मप्र के राज्यपाल बनने के बाद यहां हुए व्यापमं घोटाले में उनके ओएसडी धनराज यादव से लेकर उनके बेटे का नाम भी आया। चौदहवीं विधानसभा के 2015 के बजट सत्र में विधानसभा में अभिभाषण पर विपक्ष ने हंगामा किया। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्व. सत्यदेव कटारे अगवानी के लिए तक नहीं गए।
सत्रावधि पूर्व समाा करने पर विपक्ष ने शिकायत की
तेरहवीं विधानसभा के जुलाई 2013 के अंतिम सत्र में दस बैठकें होना थीं, लेकिन चौथी बैठक के दिन ही सत्ता पक्ष की ओर से तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सत्र समााि का प्रस्ताव पेश कर दिया। इसके पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कांग्रेस के उप नेता ने इस पर आपत्ति कर दी थी। इसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस विधायक सामूहिक रूप से राज्यपाल यादव से मिले थे। इसमें कानूनविदों से राय भी ली गई थी। पर दोबारा सत्र नहीं बुलाए जाने के चलते यादव को कांग्रेसियों की भी आलोचना झेलनी प़डी।
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