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Madhya Pradesh: सोयाबीन से निराश मध्य प्रदेश के किसान बासमती चावल की महक से मुग्ध

Madhya Pradesh मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन का साथ छोड़कर बासमती धान उगाने की राह पर बढ़ रहे हैं। बीते खरीफ सीजन में ही सोयाबीन का रकबा मध्य प्रदेश में जहां करीब दस लाख हेक्टेयर घटा वहीं बासमती का करीब इतना ही बढ़ा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 05:50 PM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 05:50 PM (IST)
Madhya Pradesh: सोयाबीन से निराश मध्य प्रदेश के किसान बासमती चावल की महक से मुग्ध
सोयाबीन से निराश मध्य प्रदेश के किसान बासमती चावल की महक से मुग्ध। फाइल फोटो

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के किसानों का अब सोयाबीन उत्पादक से मोहभंग होता जा रहा है। कीट प्रकोप, अफलन और घटते उत्पादन से निराश किसानों को बासमती चावल की महक ने मुग्ध कर दिया है। किसान सोयाबीन का साथ छोड़कर बासमती धान उगाने की राह पर बढ़ रहे हैं। बीते खरीफ सीजन में ही सोयाबीन का रकबा मध्य प्रदेश में जहां करीब दस लाख हेक्टेयर घटा, वहीं बासमती का करीब इतना ही बढ़ा है। यहां के बासमती की महक उत्तर प्रदेश और पंजाब के निर्यातकों के जरिये विदेश में पाकिस्तानी बासमती को टक्कर दे रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते दो-तीन वर्षों से अन्य प्रदेश के प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों द्वारा प्रदेश का 80 से 90 लाख क्विंटल बासमती धान खरीदा जा रहा है। बढ़ती मांग और कम लागत में ज्यादा लाभ देकर बासमती किसानों को भी समृद्ध बना रहा है। प्रदेश के मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम (होशंगाबाद), जबलपुर और नरसिंहपुर जिले के करीब 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में बीते खरीफ सीजन में बासमती की फसल ली गई। ये जिले कभी सोयाबीन उत्पादक माने जाते थे।

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बासमती ने किया आकर्षित

प्रदेश के बासमती की बढ़ती मांग ने औद्योगिक समूहों को भी आकर्षित किया है। रायसेन के मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में दावत फूड्स और मैजेस्टिक राइस जैसी बड़ी कंपनियों के प्लांट संचालित हो रहे हैं। वहीं पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की मिलर कंपनियों के प्रतिनिधि यहां किसानों से सीधे सौदा कर माल उठाते हैं। प्रदेश सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश की पांच मंडियों में वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक बासमती धान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों ने खरीदा है। देश के कुल बासमती निर्यात में मध्य प्रदेश की भागीदारी अब करीब 25 प्रतिशत है।

यहां है निर्यात

केंद्र सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के वाणिज्यिक जानकारी व सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआइएस) की वेबसाइट के अनुसार मंडीदीप के कंटेनर डिपो से बीते वर्षों में बासमती चावल का खाड़ी देशों के अलावा आस्ट्रेलिया, अमेरिका और इंग्लैंड निर्यात हुआ।

जीआइ टैग की लड़ाई 

प्रदेश के 13 जिलों में परंपरागत रूप से बासमती धान की खेती होती है लेकिन जीआइ टैग नहीं होने से उचित मूल्य नहीं मिलता। राज्य सरकार ने जीआइ टैग के लिए आवेदन किया था लेकिन मद्रास हाई कोर्ट में केस विचाराधीन है।

इसलिए बढ़ा निर्यात

रायसेन में मंडीदीप दावत फूड्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रादेंग्र बाधवा के मुताबिक, विदेश में खाद्य सामग्री के गुणवत्ता के मापदंड कड़े हैं। पहले पंजाब और उत्तर प्रदेश का बासमती ही निर्यात किया जाता था। मध्य प्रदेश का बासमती सभी मापदंडों पर खरा उतर रहा है, इसलिए इन प्रदेशों के निर्यातक यहां से धान ले जाकर अपने टैग पर निर्यात करते हैं।

ऐसे बढ़ा बासमती और घटा सोयाबीन

फसलः वर्ष 2019-20 - 2020-21

सोयाबीनः 64.99-56.64

बासमती धानः 34.04 -42.25 (कृषि विभाग के अनुसार, रकबा लाख हेक्टेयर में)


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