MP News: दक्षिण अफ्रीका के चीतों के लिए अभी करना होगा इंतजार, कूनों में नए मेहमानों का व्यवहार पर होगा फैसला
Madhya Pradesh के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से आठ चीते लाने के बाद दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने की योजना बन रही है। मगर शायद भारत सरकार को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
भोपाल, जागरण नेटवर्क। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में नामीबिया से आठ चीते (Cheetah in India) लाने के बाद दक्षिण अफ्रीका से और चीते लाने की योजना बन रही है। मगर शायद भारत सरकार को इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
नामीबिया के चीतों पर हो रही निगरानी
दरअसल, नामीबिया से लाए गए चीतों के लिए भारत का वातावरण काफी अलग है। इसलिए दक्षिण अफ्रीका की सरकार नामीबिया से कूनो भेजे गए चीतों की निगरानी कर रही है, ताकि उन्हें पता चले कि चीते भारतीय वातावरण में खुद को ढालने में कितने सफल हो पाते हैं। उनका व्यवहार देखकर ही दक्षिण अफ्रीका की सरकार भारत को चीते देने का निर्णय लेगी। दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ यहां के अधिकारियों के संपर्क में हैं और चीतों की गतिविधि पर निगरानी रखे हुए हैं। संभावना है कि इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति करेंगे फैसला
बता दें कि भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए चीतों को क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ा था। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से एक साथ चीते लाने की योजना थी लेकिन अनुबंध में देरी के चलते दक्षिण अफ्रीका से चीते नहीं आ पाए थे।
सूत्रों की मानें को दक्षिण अफ्रीका के दल ने पार्क की व्यवस्था देखकर सकारात्मक रिपोर्ट दी है लेकिन चीते देने संबंधी अंतिम निर्णय वहां के राष्ट्रपति का होगा। भारत को चीते देने की फाइल करीब एक महीने से राष्ट्रपति के पास ही है। उनकी मंजूरी के बाद ही इस संबंध में दोनों देशों के बीच अनुबंध होगा।
खुले जंगल में छोड़ने पर रहेगी नजर
विशेषज्ञों के अनुसार, क्वारंटाइन बाड़े में तो चीते स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते हैं पर असली परीक्षा तो बड़े बाड़े और जंगल में खुले छोड़ने पर होगी। एक महीने की क्वारंटाइन अवधि के बाद चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा। वे करीब दो माह इसमें रहकर शिकार करेंगे। इसके बाद एक नर चीता को जंगल में खुला छोड़ा जाएगा। तब चुनौती बढ़ जाएगी। उसे शिकार के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। यहां के जंगल में पाए जाने वाले मांसाहारी और शाकाहारी वन्य प्राणियों से उसका सामना होगा। तब पता चलेगा कि वह अपना अस्तित्व बचाए रखने में कितना सफल है।