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Madhya Pradesh: समाजसेवी शेख जफर शेख ने मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में अपनाया सनातन धर्म

Madhya Pradesh मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में समाजसेवी शेख जफर शेख ने सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती की मौजूदगी में विधिवत पूजा-अनुष्ठान करा कर उनका नामकरण किया गया। उन्हें नया नाम चैतन्य सिंह राजपूत मिला है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 04:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 06:36 PM (IST)
Madhya Pradesh: समाजसेवी शेख जफर शेख ने मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में अपनाया सनातन धर्म
मप्र के मंदसौर में समाजसेवी शेख जफर शेख ने पशुपतिनाथ मंदिर में हिंदू धर्म अपनाया। फोटो जागरण

मंदसौर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में शुक्रवार को समाजसेवी शेख जफर शेख ने सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती की मौजूदगी में विधिवत पूजा-अनुष्ठान करा कर उनका नामकरण किया गया। उन्हें नया नाम चैतन्य सिंह राजपूत मिला है। इस मौके पर शेख जफर शेख ने कहा कि यह उनकी घर वापसी है। चूंकि उनके अंचल के अधिकांश राजपूतों का मतांतरण कराया गया था, इस कारण उन्होंने नया नाम राजपूत देने की सिफारिश की थी। इस दौरान सांसद सुधीर गुप्ता,विधायक यशपाल¨सह सिसौदिया भी मौजूद थे।

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बचपन से नहीं पढ़ी थी नमाज

पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे 46 वर्षीय शेख जफर शेख का कहना है कि मेरा जन्म भले ही मुस्लिम परिवार में हुआ, पर कभी नमाज नहीं पढ़ी। ईद या अन्य त्योहार पर भाई व पिता जिद करते तो उनके साथ अनमने मन से चला जाता था। जबकि साल में दोनों नवरात्र व दो गुप्त नवरात्र में नौ दिन तक माताजी की पूजा-अर्चना करता हूं और आखिर में कन्या भोज भी कराता हूं। गणेशोत्सव में श्रीगणेश जी की स्थापना भी करता हूं। मैंने शादी भी मराठा समाज में ही की है ताकि पूजा-पाठ में कोई तकलीफ न हो। मेरे बड़े भाई मंदसौर पुलिस में एसआइ हैं व एक भाई हैदराबाद में नौकरी करते हैं। एक बहन की शादी नीमच, एक की रावतभाटा हुई है। माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है। मूलत: नीमच के रहने वाले शेख जफर शेख का जन्म गरोठ में हुआ था और वह 1998 से ही मंदसौर में रह रहे हैं।

गौरतलब है कि रतलाम में गुरुवार को बालमुनि के रूप में साढे़ नौ साल के ईशान कोठारी व साध्वी के रूप में 14 वर्षीय पलक चाणोदिया की दीक्षा संपन्न हुई। ईशान अब बाल मुनि आदित्यचंद्र सागर और पलक अब साध्वी पंक्तिवर्षा श्रीजी के रूप में पहचानी जाएंगी। विजय तिलक के साथ ही दोनों वैरागियों का वीर पथ पर विजय प्रस्थान हुआ। शारीरिक अनुकूलता नहीं होने से पलक की जुड़वां बहन तनिष्का की दीक्षा नहीं हो पाई। तनिष्का की दीक्षा आगामी दिनों में होगी। इसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है।


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