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Madhya Pradesh: पीएमटी कांड में साल्वर और दलाल सहित छह को पांच-पांच साल की कैद व जुर्माना

PMT Case सीबीआइ के विशेष सत्र न्यायालय ने सोमवार को पीएमटी कांड के छह दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इन सभी छह दोषियों पर कुल 3700 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 28 Feb 2022 08:17 PM (IST)Updated: Mon, 28 Feb 2022 08:17 PM (IST)
Madhya Pradesh: पीएमटी कांड में साल्वर और दलाल सहित छह को पांच-पांच साल की कैद व जुर्माना
मध्य प्रदेश में पीएमटी कांड में साल्वर और दलाल सहित छह को पांच-पांच साल की कैद। फाइल फोटो

ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के विशेष सत्र न्यायालय ने सोमवार को पीएमटी कांड के छह दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इन सभी छह दोषियों पर कुल 3700 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने दोषियों को सजा काटने के लिए जेल भेज दिया है। जिन्हें सजा सुनाई गई, उनमें दलाल हरिनारायण सिंह हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) व वेद रतन गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), छात्र राजेश बघेल आलीराजपुर (मध्य प्रदेश) व अवधेश कुमार हमीरपुर (उत्तर प्रदेश), साल्वर परवेज आलम मऊ (उत्तर प्रदेश) व प्रदीप उपाध्याय प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं।

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जानें, क्या है मामला

व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने मध्य प्रदेश में 20 जून, 2010 को प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) का आयोजन किया था। पीएमटी का मध्य प्रदेश गुना के पीजी कालेज में भी सेंटर था। इस सेंटर पर अवधेश कुमार की जगह प्रदीप उपाध्याय और राजेश बघेल की जगह परवेज आलम पेपर देने आए थे। परीक्षा हाल में वीक्षक को परीक्षार्थियों के चेहरे फार्म पर लगे फोटो से मैच नहीं होने पर उक्त दोनों पर शक हुआ। जब उनसे पूछताछ की गई तो बताया कि दोनों साल्वर के रूप में परीक्षा देने आए हैं। इसके बाद केंद्राध्यक्ष ने दोनों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया। दोनों ने पुलिस को बताया कि उन्हें हरिनारायण सिंह व वेद रतन लेकर आए हैं। इसके बदले में उन्हें पैसा मिला है। उन्हें गुना तक लाने के लिए चारपहिया वाहन किराये पर दिया गया था। पुलिस ने इस दौरान अवधेश कुमार से 80 हजार व परवेज से 60 हजार रुपये बरामद किए। इनके पास एटीएम कार्ड भी था। इसके बाद पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह केस सीबीआइ को स्थानांतरित हो गया। 2017 से सीबीआइ ने इस केस की ट्रायल पूरी कराई। सीबीआइ की ओर से लोक अभियोजक चंद्रपाल ने पैरवी की। 


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