Dussehra 2022: खर-दूषण का वध कर बुरहानपुर में रहे थे श्रीराम, ताप्ती के तट पर किया था राजा दशरथ का श्राद्ध
भगवान श्रीराम से जुड़े इस पर्व को बुरहानपुर जिले के लोग भी बहुत धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि बुरहानपुर का भगवान श्रीराम से गहरा नाता है। भगवान श्री राम खर-दूषण नाम के दो असुरों का वध कर बुरहानपुर के जंगलों में रहे थे।
बुरहानपुर, संदीप परोहा। बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा बुधवार को जिले भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इसे विजयदशमी भी कहते हैं। भगवान श्रीराम से जुड़े इस पर्व को बुरहानपुर जिले के लोग भी बहुत धूमधाम से मनाते हैं, क्योंकि बुरहानपुर का भगवान श्रीराम से गहरा नाता है।
खर-दूषण का किया वध
अपने चौदह वर्षों के वनवास के दौरान, जब वह असुरों को नष्ट करते हुए आगे बढ़ रहे थे उन्होंने जिले के विभिन्न वन इलाकों में भी कुछ समय व्यतीत किया था। इसका उल्लेख ताप्ती पुराण सहित कई पौराणिक और ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है।
श्री राम झरोखा मंदिर के महंत ने बताया कि भगवान श्री राम खर-दूषण नाम के दो असुरों का वध कर बुरहानपुर के जंगलों में रहे और नागझिरी घाट के पास स्थित श्री राम झरोखा मंदिर घाट से ताप्ती नदी पार कर आगे की यात्रा की। लेकिन वे बाहर थे। उन्होंने ताप्ती तट पर उस दौरान अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी किया।
साल भर गिरता है यहां झरने से पानी
बाल्दी गांव के पास जंगल में आज भी एक मानव निर्मित पत्थर की गुफा है, जहां साल भर झरने से पानी गिरता रहता है। ऐसा माना जाता है कि इस गुफा को भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने निवास के लिए बनवाया था।
जब माता सीता के स्नान के लिए जल स्रोत नहीं था तो लक्ष्मण जी ने तीर चलाकर पत्थरों में जलप्रपात बनाया था। कुछ ऐसा ही प्रमाण नेपानगर के पास सीता नहानी में भी मिलता है।
इसके अलावा श्री राम झरोखा मंदिर और जम्बूपानी में मौजूद मानव निर्मित गुफाओं को भी साक्ष्य के रूप में देखा जाता है। किवदंती है कि जामवंत जी जम्बूपानी में रहते थे और हनुमान जी उनसे यहां मिलने आया करते थे।
श्री राम वन गमन पाठ में शामिल करने हेतु लिखा गया पत्र
भगवान श्रीराम से गहरा नाता होने के बाद भी अभी तक सरकारी दस्तावेजों में बुरहानपुर का नाम दर्ज नहीं किया गया है। इसमें नाम जोड़ने के लिए विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने सरकार को पत्र लिखा है. इसके साथ ही कुछ सबूत भी भेजे गए हैं। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से स्वीकृति या अस्वीकृति को लेकर कोई जवाब नहीं आया है।
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