खजुराहों नृृत्य महोत्सव पर छाया मोहिनीअट्टम का जादू
विश्व प्रसिद्घ पर्यटक स्थल खजुराहो में इन दिनों खजुराहो नृृत्य समारोह की धूम है। हर शाम नृृत्यों की अद्भुत छटा बिखर रही है।
खजुराहो। विश्व प्रसिद्घ पर्यटक स्थल खजुराहो में इन दिनों खजुराहो नृृत्य समारोह की धूम है। हर शाम नृृत्यों की अद्भुत छटा बिखर रही है। पाषाण मंदिरों की पृृष्ठभूमि वाले मुक्ताकाशी मंच पर इस आयोजन के चौथे दिन गुरूवार की शाम कथक की प्रस्तुति से नृृत्यों की शुरआत भी और माहिनीअट्टम का जादू मंच पर छाया रहा।नृृत्यों के सम्मोहन में दर्शक बंधे रहे।
मंच पर पहली प्रस्तुति कोलकाता के संदीप मलिक के कथक नृृत्य की रही। उन्होंने अपनी कथक शैली से एक नया आयाम प्रस्तुत किया। उनकी प्रारंभिक नृृत्य शिक्षा लेखा मुखर्जी के सानिध्य में हुई। उसके बाद विख्यात कथक नर्तक पं. बिरजू महाराज, पं. राममोहन मिश्रा और पं. चित्रेश दास ने उनकी कथक तकनीक को निखारा।
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नृृत्य प्रस्तुति में संदीप मलिक की भावभंगिमाओं, नृृत्य की अदा, भाव, लय और गति देखने लायक रही। दूसरी प्रस्तुति भी कथक नृृत्य की रही। इसे लेकर आई नईदिल्ली की शिखा खरे। वे ऊर्जावान नृृत्यांगनाओं में शुमार हैं। शिखा ने मंच पर अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व, सुंदर लयकारी, द्रुर्तगति की भावभंगिमाओं से सजे नृृत्य की प्रस्तुति अद्भुत तरीक से की। उनके नृृत्य संयोजन के सम्मोहन में दर्शक बंधे रह गए।
शिखा खरे के अनुसार उन्होंने लखनऊ घराने के गुरओं से कथक की शिक्षा ली है। उन्हें नृृत्य गुरू विक्रम सिंधे, पं. राममोहन मिश्र, कपिलाराज और बिरजू महाराज मार्गदर्शन मिला। इसी कारण वे कई ख्यातिप्राप्त मंचों से होकर खजुराहो के इस विख्यात मंच पर प्रस्तुति देने आई हैं।
पल्लवी की भावभंगिमाओं में बंधे रहे दर्शक
नृृत्योत्सव के मुक्ताकाशी मंच पर त्रिचूर की पल्लवी कृृष्णन ने मोहिनीअट्टम नृृत्य प्रस्तुत किया।उनकी भावभंगिमाओं के सम्मोहन में दर्शक बंधे रह गए।पल्लवी बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलाकार हैं।यह प्रतिभा इस मंच पर पौराणिक कथा पर नृृत्य के द्वारा सजीव हो उठी।उनके नृृत्य ने अदावु तथा अभिनय की सहज प्रस्तुति देखने को मिली। नृृत्य की यही अदा उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करती है।
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पल्लवी के मुताबिक उन्होंने नृृत्य की शिक्षा कला मंडलम शंकरनारायणन से ली है। इसी तरह मंच पर रीता मित्रा मुस्तफी कथा डांस थियेटर, यूएसए द्वारा समूह कथक नृृत्य के रूप में गुरूवार की शाम अंतिम नृृत्य प्रस्तुति रही। रीता मुस्तफी ने अपने नृृत्य संयोजन से दर्शकों को पौराणिक कथा के सार में गोते लगाते हुए अलौकिक संसार की यात्रा करा दी।
नृृत्य के माध्यम से उन्होंने भावनाओं की परतें खोलकर अवचेतन मन को जागृृत कर दिया।रीता मुस्तफी मूल रूप से भारतीय है परंतु अमेरिका में बसी हैं। वहां भी उन्होंने नृृत्य की इस विधा को नहीं छा़े$डा है। बिरजू महाराज से नृृत्य की बारीकियां सीखकर उन्होंने इन बारीकियों को नृृत्य प्रस्तुति में इस तरह सजीव किया है कि वह दर्शकों के अंर्तमन की गहराइयों तक उतर जाता है।