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कान्हा में फिर गूंजने लगी बाघ मुन्ना की दहाड़

मध्य प्रदेश के मंडला स्थित कान्हा नेशलन पार्क के सुल्तान बाघ मुन्ना ने अब बफर जोन छोड़ दिया है और कोर एरिया में फिर से दस्तक दे दी है। बफर जोन में पर्यटक नहीं जा सकते, जबकि कोर एरिया में पर्यटकों का आना-जाना होता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2016 05:44 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2016 05:54 AM (IST)
कान्हा में फिर गूंजने लगी बाघ मुन्ना की दहाड़

नईदुनिया, मंडला। मध्य प्रदेश के मंडला स्थित कान्हा नेशलन पार्क के सुल्तान बाघ मुन्ना ने अब बफर जोन छोड़ दिया है और कोर एरिया में फिर से दस्तक दे दी है। बफर जोन में पर्यटक नहीं जा सकते, जबकि कोर एरिया में पर्यटकों का आना-जाना होता है। छह माह पहले तक मुन्ना का किसली, सरही और कान्हा क्षेत्र में अपना साम्राज्य था और इसकी दहाड़ से जंगल गूंज उठता था। इसने पार्क में एक छत्र राज्य किया। इसके आसपास कोई जानवर नहीं भटकता था। जिसके चलते इसे कान्हा का 'सुल्तानÓ भी कहा जाता है।
14 वर्षीय मुन्ना ने उम्र दराज होने पर वर्चस्व की लड़ाई में हार जाने पर अप्रैल 2016 को अपना क्षेत्र छोड़ दिया था और बफर जोन में आकर सुरक्षित स्थान की तलाश करता रहा। जानकारों का मानना था कि मुन्ना वर्षाकाल मुश्किल से निकाल पाएगा, यही हुआ भी। उसने एक बार फिर समूची ताकत के साथ बंजर नदी के तराई वाले क्षेत्र में रहकर मवेशियों का शिकार किया और ताकतवर होकर फिर अपने खोए साम्राज्य को पाने के लिए किसली पहुंच गया है।

विश्वविख्यात है मुन्ना
मुन्ना नरबाघ के माथे पर सीएटी केट लिखा हुआ है जो उसकी विशेष पहचान है। सबसे बड़ी बात यह है कि मुन्ना पर्यटकों को देखकर जंगल में छुपता नहीं है, बल्कि उन्हें कैमरे में कैद करने और वीडियो बनाने का पूरा मौका देता है, जिप्सी वाहन के आगे-आगे चलना उसके लिए आम बात है। देशी और विदेशी पर्यटकों को मुन्ना नौ नंबर पर अक्सर मिल जाता था।

2003 में दिखा था पहली बार
मुन्ना 2003 में पहली बार कान्हा जोन में देखा गया था, उस समय उसकी आयु लगभग एक वर्ष थी। लगभग 13 वर्षों तक कोर एरिया में इसने साम्राज्य स्थापित किया लेकिन अप्रैल माह में वर्चस्व की लड़ाई के चलते मुन्ना को अपना इलाका छोडऩा पड़ा और उम्र की मार के चलते बफर जोन में रहने को मजबूर हुआ।

नौ बार लड़ी थी लड़ाई
मुन्ना के क्षेत्र में जब भी किसी नरबाघ ने आकर अपना वर्चस्व दिखाने का प्रयास किया तो उसे धूल चटाई। मुन्ना ने आठ बार विजय अपने खाते में दर्ज कराई और नौवीं बार उसे अपना साम्राज्य छोड़कर गुमनामी के अंधेरे में लगभग छह माह काटना पड़ा।

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